2. रूफ टॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर : 1 पर भी जुर्माना नहीं
300 वर्गमीटर से ज्यादा क्षेत्रफल के भूखण्ड पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाना अनिवार्य है। ऐसे लाखों भवन निर्मित हैं, लेकिन हार्वेस्टिंग सिस्टम 5 से 8 फीसदी भवनों में ही बनाए गए। इसमें भी कई दिखावा हैं। पिछले 5 वर्ष में नियमों को ताक पर रखने वाले एक भी निर्माणकर्ता से जुर्माना नहीं वसूला गया, केवल नोटिस देकर जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली गई। यही कारण है कि मानसून में करोड़ों लीटर पानी नालों में व्यर्थ बहाया जा रहा है।
जहां अफसर फेल, वहां एनजीटी का चला डंडा
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिल्ली में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं बनाने पर शिकंजा कसा था। एनजीटी के निर्देश पर कई अस्पताल, होटल, मॉल्स पर बड़ा जुर्माना लगाया गया। यहां तक एेसी कई इमारतों को सील करने के भी हिदायत दे दी गई, लेकिन जयपुर में नौकरशाह नकेल नहीं कस पाए।
परेशानी करने वाली स्थिति : जयपुर का भूजल स्तर…
-1.58 मीटर (न्यूनतम) भू-सतह से नीचे
-91.28 मीटर (अधिकतम) भू-सतह से नीचे
-0.89 प्रतिशत में 2 मीटर तक गहराई में
-0 प्रतिशत 2 से 5 मीटर के बीच
-11.61 प्रतिशत 5 से 10 मीटर के बीच
-21.43 प्रतिशत 10 से 20 मीटर के बीच
-20.54 प्रतिशत 20 से 40 मीटर के बीच
-45.54 प्रतिशत 40 मीटर से अधिक
(जनवरी, 2019 तक का आकलन, जिसमें मीटर भूसतह से नीचे के आधार पर है। हालांकि, मानसून के बाद इसमें बदलाव होता रहा है लेकिन पानी का सदुपयोग नहीं होने के कारण बारिश से ठीक पहले वापिस यही परेशानी करने वाली स्थिति सामने आती रही है)