भामाशाह योजना के तहत जिसमे हर गरीब का इलाज सोचा गया ताकि कोई गरीब लाइलाज ना रहे। लेकिन सरकार भूल गई देश में ऐसी भी एक बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं ,ला इलाज है वो है भष्ट्राचार। जो अच्छे- अच्छे भामाशाहों की जेबों को खाली कर दे। सरकार की इस योजना का भी यही हाल हुआ,कभी नकली चोट लगाकर असली एफआईआर दर्ज करवाने वाले या डॉक्टर इस योजना में इसी कारनामे को अंजाम दिया।
राजधानी के एक निजी अस्पताल में झालावाड़ से उपचार कराने आई महिला को तो डॉक्टरों ने फर्जी चीरा लगाकर ऑपरेशन दिखा दिया। जबकि बाद में सीटी स्केन में पता चला कि उसका तो कोई ऑपरेशन ही नहीं हुआ। भाजपा सरकार के समय शुरू इस योजना में पहले भी फर्जी क्लेम उठाए जा चुके हैं। जांच के बाद कई अस्पताल को प्रतिबंधित व योजना से बाहर करने की कार्रवाई भी हुई। अब फिर कुछ निजी अस्पताल गरीब मरीजों को अंधेरे में रखकर और उनकी जान से खिलवाड़ कर रहे है।