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जयपुर

प्रेशर पॉलिटिक्स…दिल्ली में राजस्थानी सिपहसालार

पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट अब अपने वादों को पूरा कराने के लिए कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बनाए हुए हैं और दिल्ली में कैंप कर रहे हैं। वहीं, किसी भी तरह के डेमेज कंट्रोल के लिए कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी दिल्ली में हैं।

जयपुरJun 13, 2021 / 10:05 am

Chandra Shekhar Pareek

प्रेशर पॉलिटिक्स...दिल्ली में राजस्थानी सिपहसालार

प्रेशर पॉलिटिक्स…दिल्ली में राजस्थानी सिपहसालार

जयपुर। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट अब अपने वादों को पूरा कराने के लिए कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बनाए हुए हैं और दिल्ली में कैंप कर रहे हैं। वहीं, किसी भी तरह के डेमेज कंट्रोल के लिए कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी दिल्ली में हैं। यहां डोटासरा ने कहा है कि सचिन पायलट कांग्रेस के सीनियर नेता हैं। पार्टी में किसी तरह की समस्या नहीं है। कैबिनेट में फेरबदल जल्द किया जाएगा। प्रदेश प्रभारी अजय माकन भी यह बात कह चुके हैं। इस बीच, राजधानी जयपुर में भी सीएम अशोक गहलोत विधायकों से सीधी बात कर रहे हैं। कई विधायकों ने दो दिन में मुलाकात की है। इनमें निर्दलीय विधायक सुरेश टांक, ओम प्रकाश हुडला और अन्य विधायक शामिल हैं। गहलोत को इन विधायकों ने आश्वासन दिया है कि वे पूरी तरह उनके साथ हैं।
प्रियंका करेगी हस्तक्षेप
पार्टी सूत्रों के अनुसार सचिन पायलट कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी से मिलना चाहते है क्योंकि प्रियंका गांधी ने ही मानेसर मामले के दौरान सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों से मुलाकात कर समझौता कराया था और तीन सदस्यों की कमेटी बनाकर रिपोर्ट बनाने की बात कही थी। लेकिन दस माह बीत गए, पायलट गुट की मांगों को पूरा नहीं किया गया और इसी बात को पायलट और उसके समर्थक विधायकों ने उठाया है।
दिल्ली में धमक, राजस्थान पर असर
अब पायलट के दिल्ली पहुंचते ही सियासी हलचल बढ़ गई। पायलट खेमा और गहलोत खेमा एक-दूसरे पर निगाह रखे हुए है और एक-दूसरे के विधायकों में सेंधमारी की भी फिराक में है। यही वजह है कि पायलट समर्थक कई विधायकों के गहलोत के पक्ष में बयान आए हैं।
जल्द होगा कैबिनेट में फेरबदल
डोटासरा और माकन के बयानों के बाद लग रहा है कि कांग्रेस आलाकमान राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर फैसले ले सकता है, हालांकि इसमें गहलोत की राय को प्रमुखता मिलना तय है। कुछ नाराज नेताओं को सरकार में एडजस्ट किया जा सकता है।

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