script40,000 हजार साल पुराना भेडिय़े का मिला सिर | Prehistoric Wolf's Head | Patrika News

40,000 हजार साल पुराना भेडिय़े का मिला सिर

locationजयपुरPublished: Jun 14, 2019 04:53:17 pm

Submitted by:

Shalini Agarwal

फर, दांत और टिश्यू हैं तकरीबन सही सलामत, सिर पता चलता है कि प्राचीन भेडिय़े होते थे आज के भेडिय़ों से बड़े

Prehistoric Wolf's Head

40,000 हजार साल पुराना भेडिय़े का मिला सिर

साइबेरिया में एक ऐसे भेडिय़े का सिर मिला है, जिसकी मौत आज से चालीस हजार साल पहले हुई थी। साइबेरिया में पडऩे वाली ठंड के कारण उस भेडिय़े के फर, दांत, दिमाग और चेहरे के टिश्यू तकरीबन सही सलामत हैं। स्थानीय निवासी पावेल येफिमोव ने इस सिर को याकुटिया इलाके में टाइरेख्तयाक नदी के किनारे खोजा। यह नदी आर्कटिक सर्किल के नजदीक है। इस सिर को पावेल ने साइंस अकेडमी ऑफ याकुटिया के हवाले कर दिया। जहां से वैज्ञानिकों ने इस सिर से लिए कुछ सैंपल्स और मेजरमेंट डाटा जापान और स्वीडन के साथी वैज्ञानिकों को भेजे हैं। वैज्ञानिकों ने इस भेडिय़े की आयु चालीस हजार साल आंकी है। यह भेडिय़ा आधुनिक भेडिय़ा से बड़ा है. इसके फर और दांत दिखाई दे रहे हैं लेकिन आंखें गायब हैं। वैज्ञानिकों ने अब इस सिर को प्लास्टिनेशन की प्रक्रिया से गुजारा है, जिसमें पानी और फैट और प्लास्टिक से रिप्लेस कर दिया जाता है। प्लास्टिक सिर को खराब होने से रोकेगा और टिश्यू को वैज्ञानिक उद्देश्यो के लिए सुरक्षित रखेगा। साइंस अकेडमी के वैज्ञानिक वालेरी प्लोटनिकोव का कहना है कि इस प्रक्रिया इसलिए अपनाई गई है, ताकि फर बाहर न आए और हम इसे अनफ्रोजन स्थिति में भी रख सकें।
बना रहे डिजिटल मॉडल
वैज्ञानिक अब इस भेडिय़े के दिमाग औरस्कल के भीतरी भाग का डिजिटल मॉडल बना रहे हैं, ताकि इसका और अध्ययन किया जा सके। वहीं स्टॉकहोम में एक टीम इस भेडिय़े के डीएनए की व्याख्या करने में जुटी है।
और मिलेंगे जानवर
वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण साइबेरिया की बर्फ पिघल रही है, जिससे कारण यह सिर सामने आया है। बर्फ का पिघलना लगातार जारी है, ऐसे में और खोज होने की संभावना इस क्षेत्र में है।
अजीबो-गरीब मानव का घर था साइबेरिया
यह बहुत ठंडा था, रिमोट था और यहां दांत वाले मेमथ की लड़ाइयां जारी रहती थीं, इसके बावजूद 30 हजार साल पहले प्राचीन साइबेरिया अजीबो-गरीब मानव का घर था। यहां ऐसे मानव रहा करते थे, जिनके बारे में बहुत ज्यादा जानकारी वैज्ञानिकों को नहीं है।
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