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सम्राट यंत्र पर फहरी पताका बताएगी प्रदेश में कैसी होगी बरसात, वायु परीक्षण कर जानेंगे वर्षा का योग

locationजयपुरPublished: Jul 13, 2019 02:45:32 pm

Submitted by:

dinesh

Predictions For Rain : बारिश के लिए तरस रहे राजस्थान के लोगों के लिए अब ज्योतिषी ( Astrologer ) जयपुर में ज्योतिष यंत्रालय जंतर-मंतर ( Jantar Mantar ) के सम्राट यंत्र ( Samrat Yantra ) पर मंगलवार को वायु धारिणी पूर्णिमा पर सूर्यास्त के समय ध्वज पताका फहराकर वायु परीक्षण कर सौ किलोमीटर की परिधि में वर्षा के पूर्वानुमान की भविष्यवाणी करेंगे…

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जयपुर। बारिश के लिए तरस रहे राजस्थान के लोगों के लिए अब ज्योतिषी ( astrologer ) जयपुर में ज्योतिष यंत्रालय जंतर-मंतर ( Jantar Mantar ) के सम्राट यंत्र ( Samrat Yantra ) पर मंगलवार को वायु धारिणी पूर्णिमा पर सूर्यास्त के समय ध्वज पताका फहराकर वायु परीक्षण कर सौ किलोमीटर की परिधि में वर्षा के पूर्वानुमान की भविष्यवाणी ( Predictions For Rain ) करेंगे।
यह वायु परीक्षण शहर के प्रसिद्ध विद्धान पं. रामपाल शर्मा, देवर्षि कलानाथ शास्त्री, पं. शिवदत्त शास्त्री वैदिक, प्रो. विनोद शास्त्री सहित अनेक विद्वानों की उपस्थिति में शाम को सूर्यास्त के समय होगा। पंडित रामपाल शर्मा ने बताया, भारतीय ज्योतिष शास्त्र में वायु दृष्टि विज्ञान के आधार पर गत कार्तिक मास के प्रतिपदा से प्रारंभ होने वाले वृष्टि के गर्भाधारण काल से अब तक के आकाशीय लक्षणों व ग्रहयोगों के आधार पर इस वर्ष चातुर्मास में वर्षा योग उत्तम बनता है, लेकिन इन योगों के आधार पर परिलक्षित वर्षा के पूर्वानुमान का आषाढ़ी पूर्णिमा को किए जाने वाले वायु परीक्षण के प्रतिफल के साथ तुलनात्मक अध्ययन किए जाने पर ही वर्षा संबंधी पूर्वानुमान की अधिक विश्वसनीय जानकारी प्राप्त की जा सकेगी।
क्या है वर्षा गर्भाधारण
आकाश सूर्य की किरणों द्वारा कार्तिक शुक्ला प्रतिपदा से आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा तक आठ महीने तक गर्भरूप में धारण किए हुए समस्त समुद्रों के रसायन रूपी जल को ग्रहण करता है। ये आठ माह गर्भाधारण कहलाता है तथा सूर्य द्वारा फैलाया हुआ यह जल आठ माह बाद अर्थात चातुर्मास में वर्षा के रूप में बरसता है, जिसे वर्षाकाल कहा जाता है। इन आठ मास में तिथियों और नक्षत्रों से बनने वाले योगों तथा आषाढ़ी पूर्णिमा को शाम को सूर्यास्त काल में किए जाने वाले वायु परीक्षण के आधार पर चातुर्मास में वर्षा कैसी होगी, इसका पूर्वानुमान किया जाता है।
इसलिए होता है आषाढ़ी पूर्णिमा को परीक्षण
आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के योग खराब हो जाने पर वर्षा को पुष्ट करने वाले अन्य सभी योग नष्ट हो जाते हैं और यदि अच्छे योग हो जाएं तो वर्षा का नाश करने वाले अन्य कुयोग भी अच्छे हो जाते हैं।
इसलिए आषाढ़ी पूर्णिमा को सूर्यास्त के समय वायु परीक्षण महत्वपूर्ण माना गया है। पंडित कलानाथ शास्त्री ने बताया, वृष्टि विज्ञान संबंधी शास्त्रों में आषाढ़ी पूर्णिमा के वायु परीक्षण को अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। इसलिए हर साल ज्योतिष के विद्वान सम्राट यंत्र पर पताका फहरा कर वायु परीक्षण करेंगे।
विज्ञान पार्क में भी होगा वायु परीक्षण
अखिल भारतीय प्राच्य ज्योतिष शोध संस्थान, जयपुर की ओर से इस बार भी आषाढ़ी पूर्णिमा पर शाम को शास्त्री नगर के विज्ञान पार्क वायु परीक्षण किया जाएगा। संयोजक डॉ. रवि शर्मा ने बताया, शाम 7 बजकर 18 मिनट पर पताका लहराकर वायुवेग के फलस्वरूप श्रावण मास में होने वाली वर्षा का पूर्वानुमान लगाया जाएगा।
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