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राजस्थान के होम मिनिस्टर के ऐसा करने से पूरे पुलिस महकमें में मचा हड़कंप, और फिर…

locationजयपुरPublished: Apr 15, 2018 08:23:09 am

Submitted by:

Nakul Devarshi

गृहमंत्री का एक बयान पुलिस महकमें को भारी पड़ गया। मामले की सफाई के लिए पुलिस मुख्यालय को स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा।

gulab chand kataria
जयपुर।

गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया के स्टे की आड़ में गुनाहगारों के कानून के हाथों गिरफ्तार होने से नहीं बच पाने के बयान पर पुलिस मुख्यालय को दो दिन में ही स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा। कटारिया ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब स्टे छह माह बाद स्वत: खारिज हो जाएगा, लेकिन मुख्यालय ने कहा कि पुलिस जांच पर स्टे है तो वह कोर्ट से ही खारिज होगा, छह माह बाद स्वत: निरस्त नहीं होगा। हालांकि पुलिस अधिकारियों के अनुसार ट्रायल पर कोई स्टे लाता है तो वह छह माह बाद स्वत: समाप्त हो जाएगा।
यह कहा था गृहमंत्री ने
पुलिस मुख्यालय ने 500 ऐसे केस छांटे हैं, जिन पर कोर्ट स्टे चल रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन केसों पर स्टे आदेश जारी होने की तारीख से छह माह बाद स्वत: खारिज हो जाएगा।
यह बताया एडीजी क्राइम ने
एडीजी पीके सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश है, वह पुलिस अनुसंधान पर स्टे के मामले में नहीं है। पुलिस जांच पर स्टे है तो वह कोर्ट द्वारा ही खारिज किया जा सकेगा।
यह था सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लंबित मामलों में जहां कोर्ट ने स्टे ऑर्डर दिया है उसकी अवधि छह माह बीतने के बाद समाप्त हो जाएगी। साथ ही, स्पष्ट किया कि किसी मामले में स्पीकिंग ऑर्डर से स्टे जारी रहने की अनुमति दी गई है तो वह अपवादस्वरूप जारी रहेगा।
यह मामला भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत आरोप तय करने के आदेश पर हाईकोर्ट के स्टे देने से संबंधित है। हाईकोर्ट आरोप तय करने के आदेश पर विशेष परिस्थिति में सुनवाई कर सकता है, लेकिन इसका प्रयोग रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामले में ही हो सकता है।
एेसे मामलों में निर्णय में देरी नहीं होनी चाहिए। हालांकि इसके लिए किसी तरह की समय सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती, लेकिन सामान्य तौर पर यह दो-तीन महीने से ज्यादा नहीं होना चाहिए। स्पीकिंग आर्डर का मतलब है कि स्टे जारी रहने का कारण बताया जाए।

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