असहमति लोकतंत्र का हिस्सा है। सदन के अंदर वाद-विवाद और तर्क बहस तो होनी ही चाहिए लेकिन देशहित का सवाल आए तो सर्वसम्मति और बिना अवरोध के काम हो। संसद में लग रहे देश के एक-एक पैसे की भरपाई हो।
मैं पहली बार 2014 में चुन कर आया था। उससे पहले मैं विधायक था। तभी मुझे लगा कि लोकसभा तो 542 सदस्यों का बड़ा सदन है। यहां तो नए सदस्यों को मौका मिलने में छह महीने से दो साल तक लग जाते हैं। इस बार मैंने कोशिश की है कि उन सभी को पहले सत्र में ही मौका मिले।
मजबूत लोकतंत्र के लिए मजबूत और प्रभावी विपक्ष का होना बहुत जरूरी है। कम संख्या है तो समय ज्यादा देने की कोशिश करता हूं ताकि वे सरकार को आईना दिखा सके। बिल को स्थायी समितियों को नहीं भेजे जाने पर
कुछ स्थायी समितियां गठित नहीं हुई हैं। जबकि कई विधेयक पहले से ही समितियों से पारित हो चुके थे। इसलिए मैंने कोशिश की है कि स्थायी समिति नहीं है तो इस पर अधिक से अधिक बहस और चर्चा संसद में हो। सदन तो स्थायी समिति से बड़ी इकाई है। यहां सदस्य सरकार से जो और जितने सवाल पूछना चाहें पूछें। आखिर 130 करोड़ लोगों के लिए कानून बनना है तो विस्तृत चर्चा होनी चाहिए। अब जल्दी ही स्थायी समिति का गठन हो जाएगा।
सदन को चलाने में विपक्ष को भरोसे में नहीं लेने की बात बिल्कुल गलत है। मैं कार्य मंत्रणा समिति में भी सभी से चर्चा करता हूं और सदन में भी। संसद में हंगामा
यह अब नहीं होगा कि हंगामे के लिए काम रोक दिया जाए। लोग सांसदों को इसलिए नहीं भेजते कि वे यहां नारेबाजी करें। यह लोकतंत्र का हिस्सा नहीं है। अपनी बात प्रभावी तरीके से रखिए। इलाके की समस्याएं रखिए। कानून बनाने सकारात्मक सहयोग कीजिए।
जब तक सजा नहीं मिल जाए, किसी को अपराधी नहीं कहा सकता। नया भवन
मौजूदा संसद भवन को 97 साल हो गए। आधुनिक जरूरतों के मुताबिक नए भवन के निर्माण या मौजूदा भवन के आधुनिकीकरण पर काम शुरू कर दिया गया है। सभी संबंधित लोगों से सलाह ली जा रही है।
हिंदी देश की सबसे ज्यादा उपयोग वाली भाषा है, इसलिए संसद का काम-काज भी इसमें हो। साथ ही आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में अनुवाद भी उपलब्ध हो। भारतीय संसद के अंदर देश की भाषा में कानून पारित होने चाहिए।
माननीय सदस्यों को सुबह नौ बजे से 10.30 बजे तक विशेषज्ञों की ओर से जानकारी देने की व्यवस्था की जा रही है। क्योंकि हर सांसद हर विषय का जानकार नहीं हो सकता। वह 10-20 लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करता है। उनकी समस्याओं से जूझता है।
जिस जनता ने पहले विधायक और फिर सांसद के रूप में भेजा है, उसके प्रति निश्चित तौर पर मेरी जवाबदेही है। कोशिश करूंगा कि उनको पर्याप्त नतीजे दे सकूं।