scriptएनआरसी चुनौती और सियासत | NRC challenge and politics ahead | Patrika News

एनआरसी चुनौती और सियासत

locationजयपुरPublished: Jul 20, 2019 11:11:15 pm

Submitted by:

Swatantra Jain

एनआरसी पर अंतिम सूची के प्रकाशन की तारीख के लिए अब बस 10 दिन शेष हैं और इस पर सियासत फिर से तेज हो गई है। देश के गृहमंत्री अमित शाह का बयान भी आ गया है कि देश की इंच-इंच जमीन पर जितने भी घुसपैठिए रह रहे हैं, हम उनकी पहचान करके उन्हें बाहर निकालेंगे । केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वे देश को शरणार्थी कैपिटल नहीं बनने देंगे। तो क्या है एनआरसी पर सरकार के इस सख्त रवैये के मायने – देखें विशेष रिपोर्ट –

Assam NRC Draft

Assam NRC Draft

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में अवैध तरीके से रह रहे शरणार्थियों को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा- देश की इंच-इंच जमीन पर जितने भी घुसपैठिए रह रहे हैं, हम उनकी पहचान करके अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर उन्हें देश से निकाल बाहर करेंगे। इसके पहले 16 जुलाई को केंद्र सरकार और असम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मांगी कि उन्हें एनआरसी रजिस्टर को अंतिम रूप देने के लिए अधिक समय दिया जाए। फिलहाल इस रजिस्टर को 31 जुलाई को अंतिम रूप में तैयार कर सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाना है। सुप्रीम कोर्ट फिलहाल इस डेडलाइन को बढ़ाने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में वह अगले सप्ताह विचार करेंगे।
इसके बाद से एक बार फिर एनआरसी विमर्श और विवाद के केंद्र में आ गया है। इसकी वजह साफ है – देश की नवगठित मोदी सरकार पार्ट -2 के गृहमंत्री अमित शाह ने एक बार फिर एनएआसी पर अपनी प्रतिबद्धता दोहरा दी है। अमित शाह ने राज्यसभा में कहा है कि – अभी जो एनआरसी असम में लागू है, वह असम समझौते का हिस्सा है। जिस घोषणा पत्र के आधार पर हमारी सरकार चुनकर आई है, यह उसका भी हिस्सा है।
और यह पहली बार नहीं है कि भाजपा नेताओं ने एनआरसी को लेकर अपनी बात रखी है। इसके पहले भी पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह तक एनआरसी को लेकर अपना स्पष्ट रवैया सदन के पटल पर और सदन के बाहर चुनाव रैलियों में साफ कर चुके हैं और इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरते भी रहे हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा नेता अमित शाह ने असम के लखीमपुर में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) बिल पर कहा था- हम असम को देश का दूसरा कश्मीर नहीं बनने देना चाहते हैं। मोदी सरकार एनआरसी इसीलिए लाई है।
लेकिन इस बार हालात कुछ बदले हुए हैं – हालात इसलिए बदले हुए हैं क्योंकि इस बार एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो रही है और उसके ही निर्देश पर हो रही है।
तो साफ है कि जिस तरह देश की सरकार और देश का सबसे बड़ा कोर्ट इस मुद्दे पर गंभीर बना हुआ है और इस मुद्दे पर मंथन कर रहे हैं- उससे साफ है कि फिलहाल एनआरसी आने वाले दिनों में चर्चा का विषय बना रहेगा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो