गर्भधारण के ६-७ दिन बाद से प्लेसेंटा बीटा – ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) हार्मोन को स्रावित करना शुरू कर देता है। पहली तिमाही तक धीरे-धीरे इस हार्मोन का स्तर बढ़ता जाता है। विशेषकर सुबह के समय पेट के खाली रहने से ये लक्षण ज्यादा महसूस होते हैं। दूसरी या तीसरी तिमाही में खराब खानपान के तहत दूषित, मिर्च-मसालेदार चीजें खाने से मॉर्निंग सिकनेस की समस्या होती है।
बना रहे यदि लक्षण तो कोई दिक्कत नहीं
केवल मितली या कभी-कभार उल्टी की समस्या हो तो कोई दिक्कत नहीं लेकिन बार-बार या लगातार इस समस्या के बने रहने से यदि महिला को कुछ खाने पीने का मन न करे तो दिक्कत हो सकती है। उसके शरीर में पानी की कमी, इलेक्ट्रोलाइट इम्बैलेंस, रक्त में एसिड व रसायन की मात्रा बढऩे और किडनी व लिवर को नुकसान पहुंच सकता है।
गर्भवती मधुमेह रोगी तो बरते ये सावधानी
मॉर्निंग सिकनेस की समस्या में मीठी चीजें लक्षणों को कम करती है लेकिन यदि गर्भवती डायबिटिक है तो बेहद कम मात्रा में मीठा लें। इन्हें प्रतिदिन केवल १०० ग्राम तक की मात्रा में कोई भी मीठा फल खाने की सलाह देते हैं। दो चम्मच आइसक्रीम खा सकती है। इससे भी फायदा होता है। ज्यादा पका फल न खाएं, इनमें मीठा ज्यादा होता है।
ये भी उपयोगी
* अदरक के रस को शहद के साथ लेने से मितली में फायदा होता है।
* सौंफ या इलायची चबाना मन को ठीक करता है।
* नारियल पानी पीएं या ठंडे पेय में पुदीना प्रयोग करें।
* सूखे मेवे (भीगे बादाम, अंजीर, पिंड खजूर) लक्षणों में कमी करते हैं।
* ०१ बार दिन में पिसे हरे धनिए में धागा मिश्री मिलाकर लें।
* २-३ चम्मच अनार का रस, नारियल पानी, शिकंजी लेते समय इस दौरान, भूखे न रहें।
* ०१ चुटकी नमक, नींबू रस अदरक के टुकड़े के साथ चूसें। जिन्हें एसिडिटी न हो ।
* ज्यादा देर भूखा न रहें। दो-दो घंटे के अंतराल में थोड़ा-थोड़ा कुछ न कुछ पौष्टिक चीजें खाती रहें।
* कार्बोहाइडे्रट युक्त चीजें जैसे आलू, चावल, बूरा आदि लें। ग्लूकोज लेवल बढ़ाकर लक्षण में कमी करते हैं।
* सुबह उठते ही मीठी चीजें जैसे मुनक्का, पेठा, बिस्किट, आंवले का मुरब्बा या ऑरेंज कैंडी खाएं।
* केला, चीकू, तरबूज, खरबूज, हरा सेब, कीवी खाएं। इनमें मौजूद फ्रक्टोज तुरंत एनर्जी देते हैं।
* लस्सी, ठंडाई, शिकंजी, शरबत, रोज मिल्क, आमरस आदि पानी की कमी की समस्या में लाभ देते हैं।
* २-३ चम्मच अनार का रस, नारियल पानी, शिकंजी लेते समय इस दौरान, भूखे न रहें।
* ०१ चुटकी नमक, नींबू रस अदरक के टुकड़े के साथ चूसें। जिन्हें एसिडिटी न हो ।
* ज्यादा देर भूखा न रहें। दो-दो घंटे के अंतराल में थोड़ा-थोड़ा कुछ न कुछ पौष्टिक चीजें खाती रहें।
* कार्बोहाइडे्रट युक्त चीजें जैसे आलू, चावल, बूरा आदि लें। ग्लूकोज लेवल बढ़ाकर लक्षण में कमी करते हैं।
* सुबह उठते ही मीठी चीजें जैसे मुनक्का, पेठा, बिस्किट, आंवले का मुरब्बा या ऑरेंज कैंडी खाएं।
* केला, चीकू, तरबूज, खरबूज, हरा सेब, कीवी खाएं। इनमें मौजूद फ्रक्टोज तुरंत एनर्जी देते हैं।
* लस्सी, ठंडाई, शिकंजी, शरबत, रोज मिल्क, आमरस आदि पानी की कमी की समस्या में लाभ देते हैं।
इन्हें ज्यादा दिक्कत
मॉर्निंग सिकनेस का हाइपरइमेसिस गे्रविडेरम बनना चुनिंदा लोगों में होता है। जैसे – २० वर्ष से पूर्व या ४० साल के बाद प्रेग्नेंसी प्लान करने, जुड़वां या मल्टीपल प्रेग्नेंसी की स्थिति, मोलर प्रेग्नेंसी (अंगूर के गुच्छे जैसा प्लेसेंटा विशेषकर ए बी ब्लड ग्रुप वालों में), जिनके पहला बेबी हो आदि में बीटा-एचसीजी हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है।
मॉर्निंग सिकनेस का हाइपरइमेसिस गे्रविडेरम बनना चुनिंदा लोगों में होता है। जैसे – २० वर्ष से पूर्व या ४० साल के बाद प्रेग्नेंसी प्लान करने, जुड़वां या मल्टीपल प्रेग्नेंसी की स्थिति, मोलर प्रेग्नेंसी (अंगूर के गुच्छे जैसा प्लेसेंटा विशेषकर ए बी ब्लड ग्रुप वालों में), जिनके पहला बेबी हो आदि में बीटा-एचसीजी हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है।
डॉ. शिराली रुनवाल, प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, कमला राजा हॉस्पिटल, ग्वालियर (मप्र)
डॉ. हेतल एच. दवे, आयुर्वेद विशेषज्ञ, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर