राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 ( Rajasthan Assembly Election ) में मंडावा से कांग्रेस प्रत्याशी रीटा चौधरी की शिकायत पर सुशीला सीगड़ा और अन्य को कांग्रेस से निलम्बित कर दिया गया था। इसके बाद सुशीला सीगड़ा भाजपा के सम्पर्क में थी। हालांकि वे अधिकृत रूप से भाजपा में नहीं आई थी। अब भाजपा में सांसद नरेन्द्र खींचड़ के पुत्र अतुल खींचड़ का नाम भी उप चुनाव में टिकट की दौड़ में शामिल था। लेकिन भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने मना कर दिया कि एक परिवार में दो जनों को पद/टिकट नहीं दे सकते। इस कारण सुशीला सीगड़ा को टिकट दिया गया है। लगातार प्रधान रहने के कारण उनका जमीन स्तर पर मजबूत जनाधार है।
रीटा चौधरी 2008 में मंडावा से कांग्रेस टिकट पर विधायक चुनी गई थीं, लेकिन वह 2013 एवं 2018 में विधानसभा चुनाव हार चुकी हैं। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने रीटा चौधरी का टिकट काटकर तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष डॉ चंद्रभान को टिकट दिया था। उस समय टिकट कटने पर रीटा चौधरी ने कांग्रेस से बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ा था, जिसमें वह निर्दलीय नरेन्द्र कुमार खीचड़ से 17 हजार 118 मतों से हार गई थी।
उस चुनाव में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ चंद्रभान को मात्र 15 हजार 815 वोट ही मिले थे और उनकी जमानत जब्त हो गई थी। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से रीटा चौधरी को प्रत्याशी बनाया था। उनके मुकाबले भाजपा ने निर्दलीय विधायक नरेंद्र कुमार खीचड़ को अपना प्रत्याशी बनाया था। तब नरेंद्र कुमार खीचड़ ने रीटा चौधरी को 2346 मतों से हरा दिया था। अब फिर एक बार कांग्रेस ने रीटा चौधरी के अपना उम्मीदवार बनाया है।
रीटा चौधरी भले ही लगातार दो बार विधानसभा चुनाव हार गई हों, लेकिन उनके पिता रामनारायण चौधरी 1967, 1972, 1982, 1993, 1998, एवं 2003 में मंडावा क्षेत्र से सात बार विधायक रह चुके हैं। वर्ष 2008 में उन्होंने अपने स्थान पर अपनी बेटी रीटा चौधरी को टिकट दिलवाया, तब रीटा चौधरी पहली बार विधायक चुनी गई थीं। रीटा चौधरी के पिता रामनारायण चौधरी राजस्थान में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे हैं। वह कई बार राजस्थान सरकार में केबिनेट मंत्री, राजस्थान विधानसभा के उपाध्यक्ष, प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष एवं विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे थे। रामनारायण चौधरी के निधन के बाद रीटा चौधरी ने दो बार विधानसभा चुनाव लड़ा और दोनों बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा।