ढाई माह पहले आया था… फैसल किराए से रहने ढाई माह पहले ही आया था। असलम उसका दोस्त था। फैसल रोजाना पास में फैक्ट्री में काम करने जाता था। हिस्ट्रीशीटर सहित दो गिरफ्तार
थानाधिकारी रतन सिंह ने बताया कि प्रकरण में हिस्ट्रीशीटर महेन्द्र उर्फ गोपी और निशांत मोदी की पहचान होने पर उनको गिरफ्तार कर लिया। भीड़ में मारपीट करने वालों की पहचान कर उनकी तलाश की जा रही है।
ऐसे हुई गलतफहमी, फिर मौत तक पहुंचा मामला… दोस्त की बेटी को टॉफी दिलाना पड़ गया भारी
फैसल किराए के मकान में रहता था। उसके बगल वाले कमरे में उसका दोस्त असलम पत्नी व दो बेटियों के साथ किराए से रहते हैं। फैसल रोजाना सुबह उठते ही दूध लेने जाता तो असलम की 3 वर्षीय बेटी को साथ ले जाता। 3 फरवरी की सुबह वह बेटी को लेकर निकला। थोड़ी देर बाद ही वहीं का एक व्यक्ति असलम के पास आया और फैसल के बेटी को अकेले छोड़कर भागने की बात बताई। असलम बेटी को लेने चला गया।
फैसल किराए के मकान में रहता था। उसके बगल वाले कमरे में उसका दोस्त असलम पत्नी व दो बेटियों के साथ किराए से रहते हैं। फैसल रोजाना सुबह उठते ही दूध लेने जाता तो असलम की 3 वर्षीय बेटी को साथ ले जाता। 3 फरवरी की सुबह वह बेटी को लेकर निकला। थोड़ी देर बाद ही वहीं का एक व्यक्ति असलम के पास आया और फैसल के बेटी को अकेले छोड़कर भागने की बात बताई। असलम बेटी को लेने चला गया।
पीछा करते हुए आई भीड़, कर दिया अधमरा गुडि़या से हाथ छुड़ाकर फैसल अपने कमरे में जाने लगा तो पीछा करते हुए कुछ लोग वहां आ गए। फैसल ने कमरा बंद करने की कोशिश की, लेकिन लोग उसे खींचकर बाहर ले आए। भीड़ ने उसे खंभे से बांध दिया और बेरहमी से पिटाई की।
तब तक हो चुकी थी देर… असलम ने बताया कि जब वह बड़ी बेटी को लेकर घर आया तो भीड़ में शामिल लोग फैसल को खंभे से बांध लकड़ी से बेरहमी से पीट रहे थे। उसने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पांच मिनट में पुलिस आ गई, लेकिन तब तक फैसल की काफी पिटाई कर दी गई थी।
किराएदार महिला ने लगाया गला दबाने का आरोप मकान में ही अन्य कमरे में किराए से रहने वाली 20 वर्षीय गुडि़या ने बताया कि असलम के घर से निकलते ही फैसल घबराता हुआ घर आया। असलम की 6 माह की दूसरी बेटी को लेकर भागने लगा। गुडि़या का कहना है कि विरोध करने पर फैसल ने अभद्रता की और उसका गला दबा दिया।
15 दिन बाद आया होश, जबरन दे दी छुट्टी, हो गई मौत भाई शोएब ने कहा कि 3 फरवरी से उसका भाई अस्पताल में भर्ती था। पुलिस ने इलाज में मदद की। लेकिन 18 फरवरी को फैसल को होश आया और उसने केवल आंख खोली थी। इसके बावजूद चिकित्सकों ने 20 फरवरी को जबरन छुट्टी दे दी। पुलिस जांच अधिकारी से बात कर बड़ी मुश्किल से उसे रातभर के लिए अस्पताल में रखवाया। 20 फरवरी देर रात 2 बजे उसकी तबीयत और अधिक बिगड़ गई। 20 फरवरी से लेकर 21 फरवरी सुबह सात बजे तक उसको किसी ने नहीं संभाला। आखिरकार भाई फैसल ने दम तोड़ दिया।
अस्पताल प्रशासन ने कहा परिजनों ने ही कराया था डिस्चाज –एसएमएस अस्पताल के प्रवक्ता डॉ. एस.एस. यादव से सवाल-जवाब -परिजनों का आरोप है कि अस्पताल ने फैसल को पहले ही डिस्चार्ज कर भगा दिया।
आरोप गलत है। उसका पूरा उपचार किया गया। परिजनों ने स्वयं ही अपनी मर्जी से उसको डिस्चार्ज कराया था। उनके जाने का इंतेजाम नहीं हुआ तो उन्होंने ही वापस भर्ती भी कराया।
आरोप गलत है। उसका पूरा उपचार किया गया। परिजनों ने स्वयं ही अपनी मर्जी से उसको डिस्चार्ज कराया था। उनके जाने का इंतेजाम नहीं हुआ तो उन्होंने ही वापस भर्ती भी कराया।
-अस्पताल की लापरवाही की बात सामने आ रही है
फैसल के इलाज में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती गई। उसका इलाज किया गया। अस्पताल प्रशासन ने उसे संभाला। -आरोप है कि फैसल का पूरा उपचार नहीं किया गया, जिससे उसकी मौत हो गई।
यह बात सही नहीं है। वहां फैसल के परिजन भी मौजूद थे। वह अज्ञात नाम से भर्ती हुआ था। उसी दौरान उसका ऑपरेशन किया गया|
फैसल के इलाज में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती गई। उसका इलाज किया गया। अस्पताल प्रशासन ने उसे संभाला। -आरोप है कि फैसल का पूरा उपचार नहीं किया गया, जिससे उसकी मौत हो गई।
यह बात सही नहीं है। वहां फैसल के परिजन भी मौजूद थे। वह अज्ञात नाम से भर्ती हुआ था। उसी दौरान उसका ऑपरेशन किया गया|