2019 में इन 12 सीटों पर 2014 के मुकाबले 2.08 फीसदी वोट ज्यादा पड़े थे। 2014 में इन 12 सीटों पर 61.63 फीसदी मतदान हुआ था, जबकि 2019 में 63.71 फीसदी लोगों ने मतदान किया। हालाकि दोनों ही चुनावों में इन 12 सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी।
लोकसभा – 2019 – 2024 – मतदान में कमी (प्रतिशत)
गंगानगर – 74.39 – 65.64 – 8.75
बीकानेर – 59.24 – 53.96 – 5.28
चुरू – 65.65 – 62.98- 2.67
झुंझुनूं – 61.78 – 52.29 – 9.49
सीकर – 64.76 – 57.28 – 7.48
जयपुर ग्रामीण – 65.00 – 56.58 – 8.42
जयपुर – 68.11 – 62.87 – 5.24
अलवर – 66.82 – 59.79 – 7.03
भरतपुर – 58.81 – 52.69 – 6.12
करौली-धौलपुर – 55.06 – 49.29 – 5.77
दौसा – 61.20 – 55.21 – 5.99
नागौर – 62.15 -57.01- 5.14
नागौर: 2019 में गठबंधन हुआ तो वोट बढ़े
नागौर में 2019 में एनडीए गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में रालोपा के हनुमान बेनीवाल ने जीत दर्ज की थी जबकि 2014 में भाजपा के टिकट पर सीआर चौधरी जीते थे। बेनीवाल की जीत 1 लाख 81 हजार से ज्यादा वोटों हुई थी, जबकि चौधरी 75 हजार वोटों से ही जीते थे। नागौर सीट पर जीत का अंतर गठबंधन के चलते एक लाख से ज्यादा वोटों का रहा, जो इन 12 सीटों में सबसे ज्यादा रहा।
2019: वोटिंग बढ़ी तो भाजपा को हुआ था फायदा
2014 के मुकाबले 2019 में मतदान प्रतिशत बढ़ने से भाजपा को पांच लाख वोटों का फायदा हुआ था ऐसे में 2024 में मतदान 6 फीसदी कम होने से स्पष्ट है कि इस बार दोनों ही पार्टियों के वोट घटेंगे।
सीटों पर इसका क्या असर होगा, यह 4 जून को पता चलेगा। 12 सीटों में से बीकानेर सुरक्षित और जयपुर ग्रामीण ही ऐसी रहीं, जहां भाजपा का जीत का अंतर 2014 के मुकाबले घटा। शेष सभी नौ सीटों पर भाजपा ने जीत का अंतर बढ़ाया।