एआईसीटीई ने स्टूडेंट्स (students) की ग्रीवांस रिड्रेसल ड्राफ्ट में कुछ बदलाव किए हैं। साथ ही इसे सजेशन के लिए 2020 अगस्त तक ओपन रखा है। इसमें कोई भी भारतीय व्यक्ति छात्रों की समस्या और उसे दूर करने संबंधी अपने सुझाव दे सकते हैं। पब्लिक (public) के सुझाव के बाद कमेटी बनाई जाएगी और इसके डिसीजन के बाद 15 दिन में ड्राफ्ट (draft) जारी कर दिया जाएगा।
यूजीसी (UGC) में 7195 पेंडिंग हालांकि यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) के ऑनलाइन (Online) स्टूडेंट्स ग्रीवांस रिड्रेसल पोर्टल (portal) पर स्टूडेंट्स की शिकायतों की भरमार पड़ी है। फिलहाल देशभर के 572 इंस्टीट्यूशंस की 7195 शिकायतें (complaints) पेंडिंग हैं। जबकि 4693 शिकायतों का निपटारा किया गया है। अब ये कवायद कितनी कारगर होती है, देखने लायक होगा।
पब्लिक डोमेन (Public Domain) में रखनी होगी जानकारी काउंसिल के एडवाइजर राजीव कुमार ने बताया कि इंजीनियरिंग, एमबीए समेत अन्य इंस्टीट्यूशंस को पब्लिक डोमेन में पूरी जानकारी रखनी होगी। साथ ही ग्रीवांस रिड्रेसल पोर्टल बनाना होगा। कॉलेजों को फैकल्टी, इंटेक, फीस, इंफ्रास्ट्रक्चर समेत सभी जानकारी पब्लिक डोमेन में रखनी होगी। राजीव का कहना है कि इंस्टीट्यूशंस (institutions) को ज्यादा से ज्यादा ट्रांसपेरेंट रखना चाहते हैं। कई कॉलेजों में स्टूडेंट्स के साथ फ्रॉड या अन्य प्रताडऩा संबंधी शिकायतें मिली हैं।
ऐसी भी शिकायतें आई हैं, जिनमें स्टूडेंट्स के ऑरिजनल डॉक्यूमेंट (original documents) रख लिए जाते हैं या फिर कॉलेज इंस्टीट्यूट बदलने पर पूरी फीस तक वसूलते हैं। इन शिकायतों के बाद काउंसिल (council) ने इसमें कुछ बदलाव करने का फैसला लिया है। कॉलेज यदि अपना सिस्टम ट्रांसपेरेंट नहीं रखते हैं, तो उनकी एफिलिएशन और सीटों में कटौती जैसे फैसले एआईसीटीई (AICTE) की तरफ से लिए जा सकते हैं।