रोने से फूलती नाभि लगातार रोने से नाभि ज्यादा फूलती है। सोने पर ठीक रहती है। नाभि फूलने को अमाइकल हर्निया कहते हैं। यह एक साल के बाद ठीक हो जाता है। शिशु का लगातार रोने का मतलब पेट दर्द है। इसे कोलिक पेन कहते हैं। भूख लगने, लंगोट गीला होने पर भी शिशु रोते हैं।
यूरिन में चिपचिपापन तो डॉक्टर से मिलें शिशु के जन्म से 10 दिन तक यूरिन में चिपचिपापन और कभी-कभी मामूली खून भी आ सकता है। इस समस्या को नजरअंदाज न करें और एक बार शिशु रोग विशेषज्ञ से मिल लेना चाहिए। बच्चे के सिर पर चिकना पदार्थ जमा होता है। इसके लिए बच्चे को रोज नहलाना और सिर पर तेल लगाना चाहिए। यह धीरे-धीरे हटने लगता है। यदि बच्चा बार-बार रो रहा है तो उसका कारण जानने की कोशिश करें। चिकित्सक से मिलें।
पेट फूलना आम बात शशु को स्तनपान कराने के बाद पेट फूलना और सख्त होना सामान्य बात है। ऐसा कई बार पेट में गैस बनने की वजह से भी हो सकता है। बच्चे को स्तनपान के तुरंत बाद डकार दिलवाने से शिशु सामान्य अवस्था में आ जाता है। रोते समय बच्चों के होठों का नीला पडऩा हृदय रोग का कारण हो सकता है। दूध पिलाते समय शिशु को खांसी आना सामान्य बात है। ज्यादा खांसी और गला चोक होने पर उसका चेहरा लाल होगा। इससे सांस लेने में भी तकलीफ होगी। नवजात को पीलिया होने का खतरा भी बढ़ जाता है, जिसे फिजियोलॉजिकल पीलिया कहते हैं जो स्वत: ठीक हो जाता है।
डॉ. वीरेंद्र मित्तल
शिश रोग विशेषज्ञ
जयपुर