न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व न्यायाधीश गोवर्धन बाढदार ने इस मामले में बम विस्फोट मामलों की विशेष अदालत के जज एल डी किराडू की याचिका पर सामान्य प्रशासन विभाग से जवाब मांगा है। जवाब के लिए मंगलवार को याचिका की कॉपी अतिरिक्त महाधिवक्ता जगमोहन सक्सेना को देने के निर्देश दिए गए। किराडू की ओर से अधिवक्ता समीर शर्मा ने कोर्ट को बताया कि प्रार्थी बम विस्फोट के मामलों की विशेष अदालत में जज के रूप में कार्यरत हैं।
राज्य सरकार ने पहले प्रार्थी को जयपुर में आवास आवंटित किया और बाद में आवंटन निरस्त कर दिया। यह आवास जयपुर महानगर के पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश हेमन्त कुमार जैन को आवंटित है, उनका तबादला चित्तोडगढ़ हो चुका है। प्रार्थी पक्ष को इस मामले में जवाब मिला कि जैन का परिवार फिलहाल जयपुर स्थित सरकारी आवास खाली करने की स्थिति में नहीं है, इसलिए उनको अभी उसी आवास में रहने की इजाजत दी गई है।
प्रार्थीपक्ष ने कहा कि जैन को चित्तोडगढ़ व जयपुर दो जगह आवास दिया गया है, जबकि प्रार्थी मुफ्त सरकारी आवास पाने के लिए हकदार होने के बावजूद सर्किट हाउस में ठहरा हुआ है। यहां रहने का खर्च भी प्रार्थी को ही वहन करना पड़ रहा है। प्रार्थी बम विस्फोट मामलों की विशेष अदालत में जज होने के कारण उनका पद संवेदनशील है। ऐसे में सुरक्षा बंदोबस्त भी स्वयं के स्तर पर करना पड रहा है। सर्किट हाउस में लोगों की पहुंच आसान होने के कारण उनकी सुरक्षा को खतरा है।