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शारीरिक शोषण की कहानी को जब कलाकार ने मंच पर उतारा

locationजयपुरPublished: Aug 27, 2019 09:02:14 pm

jawahar kala kendra के रंगायन सभागार ( jkk rangayan ) में नाट्योत्सव के तहत natak बाकी इतिहास का मंचन हुआ। इसमें मानसिक विकृतियों को मंच पर कलाकारों ने उतारा।

Jawahar Kala Kendra Jaipur Drama Natak Theater

शारीरिक शोषण की कहानी को जब कलाकार ने मंच पर उतारा

Art and Culture को मंच देने वाले Jaipur के जवाहर कला केंद्र में Thusday को नई कहानी सामने आई। यह कहानी सुन और देखकर लोगों कलाकारों के अभिनय पर तालियां तो बजाई। साथ ही बालिकाओं पर हो रहे शारीरिक शोषण को रोकने के लिए उन्होंने मन में संकल्प भी लिया। यह सब jkk में चल रहे पांच दिवसीय नाट्योत्सव समारोह में देखने को मिला। रंगायन सभागार में नाटक ‘बाकी इतिहास’ का मंचन हुआ। Dehradun के बृजेश नारायण निर्देशित इस नाटक को बादल सरकार ने लिखा है। यह नेमीचंद जैन ने हिंदी रूपांतरण पर आधारित है।
1 घंटे 20 मिनट की प्रस्तुति
करीब 1 घंटे और 20 मिनट की प्रस्तुति में अपनी-अपनी मानसिकता को ढोते इंसान दिखाई देते है। नाटक के जरिए girls पर हो रहे शारीरिक शोषण को गंभीरता से उजागर किया गया। इसमें बताया कि कुछ लोग विकृत मानसिकता के कारण अपराध करते है और सजा पाते हैं। वहीं, ऐसे असंख्य लोग जो अपने मन-मस्तिष्क में घृणित अपराधों को जन्म देते है, उन्हें इसका कोई पछतावा भी नहीं होता। वे पकड़े नहीं जाते और कभी दंडित नहीं होते।
सीतानाथ के आत्महत्या का कारण
नाटक की कहानी ‘सीतानाथ’ और ‘शरद’ नामक दो पात्रों पर बेस्ड है। शरद की वाइफ ‘बासंती’ एक लेखिका है। उसे नई कहानी लिखने के लिए एक प्लाट की आवश्यकता है। शरद अपनी वाइफ को समाचार पत्र में सीतानाथ के आत्महत्या की न्यूज दिखा कर इस पर कहानी लिखने को कहता है। बासंती की तैयार सीतानाथ के आत्महत्या की काल्पनिक कहानी शरद को पसंद नहीं आती। वह स्वयं एक नई कहानी लिखता है। अपनी कहानी में वह स्वयं की मानसिक विकृति के अनुसार बालिका के शारीरिक शोषण की बात करता है और सीतानाथ के Suicide का कारण देता है।
मंच पर कलाकार
नाटक में बृजेश नारायण (सीतानाथ), सुरमयी (कनक/बासंती) के अलावा आदेश नारायण, महेश नारायण, शिवम मंमगाई, रंजित गुरूंग एवं मोहित कुमार ने अभियन किया। नाटक का सह-निर्देशन सुरमयी ने, संगीत आरती नेगी ने दिया। प्रकाश व्यवस्था अवधेश/वेदांश ने की।
नाट्योत्सव में अब कोमल गांधार
उत्सव के चौथे दिन 28 अगस्त को चंडीगढ़ के मुकेश शर्मा निर्देर्शित नाटक ‘कोमल गांधार’ का मंचन होगा। डॉक्टर शंकर शेष लिखित नाटक Mahabharat के भीषण महायुद्ध की नींव रखने पर आधारित है। इसमें महिलाओं के सशक्तिकरण पर केंद्रित यह नाटक सत्ता एवं राजनीति में उनके दुरुपयोग जैसे संवेदनशील मुद्दों को उठाएगा।
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