कॉन्फ्रेंस में प्रोफेसर शर्मा ने साइबर दुनियां के खतरे, मनुष्य की अति निर्भरता एवं तकनीकी दुनियां विशेषकर साइबर दुनियां में भविष्यगामी बर्बादी के बारे में लोगों को अवगत किया। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्रियल इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स अगले 5 साल में 20-34 प्रतिशत तक रोजगार को खा जायेगा। उन्होंने चीन की एक कंपनी का उदाहरण देते हुए बताया की किस प्रकार एक रात में 6500 कर्मचारी एवं इंजीनियर्स में से 6000 को रोबोट्स से रिप्लेस कर दिया। ताज्जुब की बात तो तब हुई जब 6 महीने में कंपनी की उत्पादकता 250 प्रतिशत बढ़ गयी एवं प्रोडक्ट्स की डिफेक्ट रेट 80 प्रतिशत तक कम हो गयी।
उन्होंने कहा कि मनुष्य की नेचुरल इंटेलिजेंस को आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस से रिप्लस किया जा रहा है जिसे हम रोक तो नही सकते परन्तु कम कर सकते हैं।
समाज विज्ञानी एवं यूनाइटेड नेशंस भी इस बारे में चिंतित हैं कि ह्यूमन इंटेलिजेंस पिछले 60 साल में बहुत गिरा है, मशीन इंटेलिजेंस और उन पर निर्भरता बड़ी है।
समाज विज्ञानी एवं यूनाइटेड नेशंस भी इस बारे में चिंतित हैं कि ह्यूमन इंटेलिजेंस पिछले 60 साल में बहुत गिरा है, मशीन इंटेलिजेंस और उन पर निर्भरता बड़ी है।
बता दें कि प्रो शर्मा को इसी साल शिक्षा, साइबर सिक्योरिटी, ग्रीन कंप्यूटिंग एवम कम्युनिकेशन के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किये गए उल्लेखनीय कार्यों लिए शांतिदूत इंटरनेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया था। प्रोफेसर डी पी शर्मा दिव्यांगता के बावजूद साइबर स्पेस में इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के माध्यम से होने वाले अपराधों की रोकथाम एवं ग्रीन इन्फर्मेशन टेक्नालजी, धार्मिक वायरल उन्माद, इलेक्ट्रॉनिक रेडिएशन, मोबाइल रेडिशन्स एवं ग्रीन पीस इन साइबर वर्ल्ड क्षेत्र में अनेकों देशों में कीनोट स्पीच दे चुके हैं।
धौलपुर निवासी प्रोफ शर्मा अभी हाल में फ़्लैंडर्स यूनिवर्सिटी बेल्जियम के इंटरनेशनल रिसर्च एडवाइजरी कमीशन के मेंबर भी हैं। प्रोफेसर शर्मा ने धौलपुर जिले के ग्रामीण परिवेश से शिक्षा प्राप्त कर अनेकों इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी पुस्तकों का लेखन किया एवं अनेकों देशों में आयोजित इंटरनॅशनल कॉन्फ्रेंस में कीनोट स्पीच शिक्षा एवं सूचना तकनीकी को शांति ,ग्रीन कंप्यूटिंग और ग्रीन पीस से जोड़कर दिये हैं।