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नए महापौर के लिए उपचुनाव 22 को

locationजयपुरPublished: Jan 13, 2019 12:55:34 pm

Submitted by:

Avinash Bakolia

पहली बार एक बोर्ड के कार्यकाल में महापौर पद पर चौथा चेहरा
 

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नए महापौर के लिए उपचुनाव 22 को

जयपुर. नगर निगम जयपुर के महापौर पद के लिए 22 जनवरी को उपचुनाव होगा। राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश के बाद कलक्टर जगरूप सिंह यादव ने एडीएम तृतीय अरविंद सारस्वत को रिर्टनिंग अधिकारी नियुक्त किया है। निगम में फिर से पद के लिए घमासान शुरू हो गया है। इस बोर्ड में पहली बार एक कार्यकाल में चार महापौर बनेंगे। इस कार्यकाल में पहले महापौर निर्मल नाहटा बने थे। उनके बाद अशोक लाहोटी ने पदभार संभाला। लाहोटी के विधायक बनने पर उपमहापौर मनोज भारद्वाज ने महापौर पद भी संभाला हुआ है।
फिर उपमहापौर का होगा चुनाव
महापौर को सीधा जनता द्वारा चुनने की बजाय।पार्षद दल ने चुना है। फिलहाल अब भी ऐसा ही होगा। चूंकि, अभी उपमहापौर मनोज भारद्वाज हैं और उन्हें महापौर का चार्ज मिला हुआ है, इसलिए सरकार केवल महापौर का ही चुनाव करा सकती है। यदि भाजपा भारद्वाज को ही प्रत्याशी बनाती है तभी उपमहापौर की सीट खाली होगी। उनके महापौर बनने के बाद ही उपमहापौर की सीट खाली होगी और फिर उपमहापौर के चुनाव कराने होंगे।
भीतरघात का डर, एक जाजम पर खड़ा रखने की चुनौती
संगठन को चुनाव प्रक्रिया से पहले सभी पार्षदों को एकमत राय लेने के लिए मनाना होगा। क्योंकि, चुनाव के दौरान यदि भाजपा के 64 पार्षदों में से एक मत भी कांगेस के खाते में चला जाता है तो संगठन में भीतरघात की स्थिति सामने आ जाएगी। चुनाव से पहले ऐसी स्थिति संगठन के पक्ष में नहीं होगा। इसीलिए संगठन फूंक—फूंक कर कदम बढ़ा रहा है। इस बीच कांग्रेस भी चाहेगी महापौर पद पर उनकी दावेदारी भी हो।
ऐसे में बगावती तेवर दिखा रहे भाजपा पार्षदों के संपर्क में रहेंगे। विधायक लाहोटी के इस्तीफा देने से पहले ही महापौर पद चाहने वालों का तांता लगना शुरू हो गया था। पार्टी पदाधिकारियों से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री तक दावेदार पार्षदों ने परेड की। यहां तक कि समाज के लोगों को लेकर पहुंचे। इससे पार्टी चिंता में आ गई और परंपरा को आधार बना उपमहापौर को ही महापौर का चार्ज दे दिया। क्योंकि, पार्टी को डर था कि यदि दावेदारों में से किसी एक को आगे किया तो फूट सामने आने की आशंका रहेगी।
फायदे के लिए भाजपा पार्षदों की फूट की कोशिश में कांग्रेस
लोकसभा चुनाव से महापौर के चुनाव को लेकर कांग्रेस ने दांव खेला है। चुनाव की इस प्रक्रिया से सीधे तौर पर तो कांग्रेस को किसी तरह का फायदा नहीं होगा, क्योंकि नगर निगम में भाजपा का बोर्ड है और उसके 64 पार्षद हैं। जबकि, कांग्रेस के पास केवल 19 पार्षद (एक समर्थित सहित) ही हैं। ऐसे में इतने बड़े गेप को भरना और महापौर के जरूरी भाजपाई पार्षदों को आपने साथ मिलाने की संभावना भी संभव नहीं है।
कांग्रेस केवल भाजपा पार्षदों के बीच फूट की संभावना तलाश रही है। उन्हें उम्मीद है कि जिस तरह कार्यवाहक महापौर के लिए दावेदारी हुई और एक दर्जन से ज्यादा ने दावेदारी जताई, उससे अब फूट सामने की आशंका बन सकती है। 2-4 पार्षद भी ऐसे सामने आ गए तो भाजपा के लिए खतरे की घंटी बनेगी। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस इसी मुद्दे को भुनाएगी।

अभी यह स्थिति
64 पार्षद भाजपा
18 पार्षद कांग्रेस
1 पार्षद काग्रेस समर्थित
8 पार्षद निर्दलीय

सरकार ने आदेश जारी कर दिए। अब पार्टी जो भी आदेश देगी, वह सर्वमान्य होगा।
मनोज भारद्वाज, महापौर

पार्टी स्तर पर निर्णय होगा कि महापौर पद के लिए प्रतयाशी कौन होगा। जो भी निर्णय होगा, उस पर सभी हमेशा की तरह एकमत होंगे। राय लेने का काम भी होगा।
संजय जैन, अध्यक्ष, भाजपा शहर
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