खासियत मंदिर में एक आर्ट गैलरी भी बनाई गई है जिसमें देश के विभिन्न तीर्थों में स्थापित विभिन्न भगवानों के चित्र और धर्म के बारे में कई सूक्ष्म जानकारियां दी गई है। मंदिर का गुंबद अलौकिक है। इसके अलावा भगवान पाश्र्वनाथ, केसरियानाथ और गौतम स्वामी की प्रतिमाएं यहां मौजूद है। मंदिर में दर्शनों के लिए जैन ही नहीं बल्कि सर्वजातियों के लोग दर्शनों के लिए आते हैं। यहां मणिभ्रद बाबा चमत्कारिक देव हैं। संघ के अधीन 6 से ज्यादा मंदिर जुड़े हुए हैं। जिनमें बरखेड़ा तीर्थ, चंदलाई मंदिर और सीमंधर स्वामी मुख्य हैं। इन मंदिरों की भव्यता भी देखते ही बनती है। दूरदराज से श्रद्धालु मंदिर में दर्शनों के लिए आते हैं। इसके साथ ही समाज की ओर से समय—समय पर विभिन्न धार्मिक आयोजन भी करवाए जाते हैं। बच्चों के लिए संस्कारों से लेकर अन्य गतिविधियों के लिए ग्रीष्कालीन शिविर में कई ज्ञानवर्धक जानकारियां बच्चों को सिखाई जाती है। वहीं मंदिर में भोजनशाला भी बनाई हुई है। इसके साथ ही यात्रियों के लिए तीन धर्मशाला भी बनाई गई है। अभी सुमतिनाथ जिनालय में पुण्डरिक रत्न मुनि विजय का चातुर्मास चल रहा है। हाल ही जिनालय में पयूर्षण महापर्व के पांचवें दिन संघ का वार्षिकोत्सव और भगवान महावीर का जन्मवांचन दिवस मनाया गया। इस दौरान संघ की वार्षिक स्मारिका माणिभद्र के 60 वें अंक का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम में भगवान महावीर के जन्म के समय माता त्रिशला ने जो चौदह स्वप्न देखे थे उनका अवतरण किया गया।