हाल ही अमरीकी सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने भारत के साथ उन देशों को भी चेतावनी दी है जो वेनेजुएला के मौजूदा राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के साथ हैं। अमरीका ये बिलकुल भी नहीं चाहता कि कोई देश वेनेजुएला से तेल खरीद उसकी अर्थव्यवस्था को मजबूती दे। अमरीका मानता है कि इस तरह के हालात भारत समेत अन्य देशों के अनुचित व्यापारिक नीतियों की वजह से ही उपजे हैं। अमरीका को ये समझना होगा कि भारत ने ये कदम इस डर से उठाया है क्योंकि ऑनलाइन मार्केर्टिंग कंपनियों की वजह से देश के बाजार और दुकानदारों पर बुरा असर पड़ रहा है।
अमरीकी सरकार के वाणिज्य सचिव विलबर रॉस का पहला दिल्ली दौरा अहम होगा। वे इस दौरान वे 20 अमरीकी कंपनियों के अधिकारियों के साथ देश के उद्योगपतियों से मिलेंगे। बैठक का मुख्य केंद्र बिंदु और ऊर्जा और विमान क्षेत्र को गति देना है।
ट्रंप दे सकते हैं सजा
भारत अभी ट्रंप की उस लिस्ट में बहुत नीचे है जिसमें वे व्यापारिक नीतियों को लेकर उसे सजा दे सकते हैं, जैसा चीन, कनाडा के साथ किया है। अमरीका और भारत ने हाल ही कुछ करार किए हैं जियमें मेडिकल उपकरण, कृषि से जुड़ी वस्तुएं और मोबाइल फोन जैसे उत्पाद शामिल हैं। इसमें आगे नहीं बढ़े तो दोनों देशों के बीच समझौता निरााशाजनक होगा।
कुछ मुद्दो पर संकोच
वाशिंगटन के सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के वरिष्ठ सलाहकार रिचर्ड रोसॉव मानते हैं कि जैसी स्थिति है उसमें अमरीका भारत के व्यापार को प्रभावित करने की कोशिश करेगा। सबसे पहले वे उन रियायतों पर रोक लगाएगा जो भारत को देता आ रहा है। बस एक कारण हो सकता है कि ट्रंप ऐसा न करें क्योंकि भारत और अमरीका के बीच सैन्य सहयोग अच्छे हैं।
जोआना स्लेटर, वाशिंगटन पोस्ट की भारत में ब्यूरो चीफ, वाशिंगटन पोस्ट से विशेष अनुबंध के तहत