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…ये कैसी घड़ी आई है,मिलन है,जुदाई है

locationजयपुरPublished: Jun 21, 2019 06:03:45 pm

Submitted by:

Anand Mani Tripathi

Indian Air force AN-32 विमान Crash में शहीद हुए जवानों का पार्थिव देह 18 दिन बाद आज घर पहुंचा। इससे पहले वायुयोद्धाओं को Defence Minister राजनाथ सिंह ने श्रद्धांजलि दी. इसके बाद Martyared के शव को उनके घर रवाना किया गया। 3 जून को हुए इस हादसे में 8 क्रू मेंबर समेत 13 यात्रियों की मौत हो गई थी.सभी का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

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Rajnath Singh

iaf के एएन-32 विमान हादसे में 18 दिन बाद आज शहीदों का शव उनके घर पहुंचा। इससे पहले दिल्ली में शहीद हुए जवानों को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने श्रद्धांजलि दी. 3 जून को Arunachal Pradesh में हुए इस हादसे में 8 क्रू मेंबर समेत 13 यात्रियों की मौत हो गई थी. आपको बता दें तीन जून को Assam के Jorhat से उड़ान भरने के बाद यह विमान अरुणाचल प्रदेश में लापता हो गया था. इस विमान में 8 क्रू मेंबर समेत 13 यात्री सवार थे. गुरुवार को सभी शव बरामद कर लिए गए थे, जिसमें 7 शव क्षत-विक्षत हालत में मिले हैं. शवों को उनके परिवारवालों के पास भेजा जा रहा है. एएन-32 विमान ने असम के जोरहाट से 3 जून को अरुणाचल प्रदेश के शि-योमी जिले के मेचुका एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड के लिए उड़ान भरी थी. लेकिन उड़ान के 35 मिनट के भीतर जमीनी एजेंसियों से विमान का संपर्क टूट गया.13 जून को भारतीय वायुसेना ने कहा था कि AN-32 विमान के सभी 13 सवार मारे गए हैं और हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए जांच के आदेश दिए गए हैं.वायुसेना ने बताया है कि दुर्घटनाग्रस्त एएन-32 विमान का कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) भी बरामद हो चुका है. भारतीय वायुसेना ने मृतकों की पहचान Wg Cdr जी.एम. चार्ल्स, Sq Ldr एच. विनोद, Flt Lt आर. थापा, ए. तंवर, एस. मोहंती, एम. के. गर्ग, वारेंट ऑफिसर के. के. मिश्रा, सार्जेट अनूप कुमार, कॉरपोरल शेरिन, लीडिंग एयरक्राफ्ट मैन एस.के. सिंह व पंकज, नॉन कॉम्बेटेंट पुताली और राजेश कुमार के रूप में की है.वायुसेना ने मंगलवार को लापता वाहक के मलबे की पहचान की थी. यह लिपो से 16 किमी उत्तर में और समुद्र तल से 12,000 फीट की ऊंचाई पर था. मलबे का पता एमआई-17 हेलीकॉप्टर से आठ दिनों बाद एक तलाशी अभियान के बाद चला.इस विमान के तलाशी अभियान में मौसम किसी विलेन से कम नहीं था. कई बार खराब मौसम के कारण तलाशी अभियान रोक दिया गया. बचाव कार्य में चीता और एएलएच हेलिकॉप्टर्स मौजूद थे.
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