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हाईकोर्ट ने रामगढ़ बांध पर जताई नाराजगी, मौखिक टिप्पणी में कहा जयपुर के 31 बांध ही बचा नहीं पाए, तो प्रदेशभर का क्या होगा

locationजयपुरPublished: Jul 23, 2018 08:29:30 pm

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हाईकोर्ट ने रामगढ़ बांध पर जताई नाराजगी, मौखिक टिप्पणी में कहा जयपुर के 31 बांध ही बचा नहीं पाए, तो प्रदेशभर का क्या होगा

शैलेन्द्र अग्रवाल / जयपुर. हाईकोर्ट ने बांध, नाले व तालाबों के प्रवाह क्षेत्र में नियमों के विपरीत निर्माण और जलस्रोतों के संरक्षण के प्रति अधिकारियों की लापरवाही पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी कर कहा कि रामगढ़ सहित जयपुर के 31 बांध ही बचा नहीं पाए, तो प्रदेशभर का क्या हाल होगा? यह भी कहा कि जो भी जलस्रोत जिंदा है, वे गंदे पानी के कारण बचे हुए हैं। कोर्ट ने इस मामले में स्पष्टीकरण के लिए 26 जुलाई को मुख्य सचिव को तलब कर यह बताने को कहा है कि जलस्रोतों के संरक्षण के लिए सरकार क्या कर रही है और आगे की क्या योजना है?
न्यायाधीश मनीष भण्डारी व न्यायाधीश दिनेश चन्द्र सोमानी की खण्डपीठ ने राजस्थान पत्रिका में मर गया रामगढ़ शीर्षक से प्रकाशित समाचार श्रृंखला के आधार पर स्वप्रेरणा से 2011 में दर्ज याचिका पर यह आदेश दिया। लोक सम्पत्ति संरक्षण समिति की ओर से कोर्ट को बताया कि जयपुर जिले में 31 बांध है और प्रवाह क्षेत्र में निर्माण की रुकावटों के कारण अधिकांश दम तोड़ चुके हैं। कोर्ट के अब तक के आदेशों की पालना नहीं की गई है। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अदालती आदेश की पालना की शुरुआत जयपुर जिले से कराई जाएगी। कोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ता जी एस गिल ने स्वीकार किया कि जयपुर जिले में 31 बांध हैं और उनमें से 28 पानी नहीं आने के कारण दम तोड़ चुके हैं। तीन बांध नेवटा, कानोता व चंदलाई में ही पानी है।
अधिकारी नहीं दे पाए जवाब

कोर्ट ने जब जलस्रोतों में पानी नहीं आने के बारे में जानकारी मांगी, तो जल संसाधन विभाग के अधिकारी जवाब नहीं दे पाए। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता के आग्रह पर सुनवाई 26 जुलाई तक टाल दी है।
कोर्ट ने यह दिया जवाब

जब अधिकारी जवाब नहीं दे पाए तो कोर्ट ने कहा कि पता चला है जयपुर जिले के नेवटा बांध में सांगानेर कपड़ा फेक्ट्री व अमानीशाह नाले का प्रदूषित पानी जा रहा है। कानोता बांध में सीवर का पानी बिना ट्रीट किए ही जा रहा है, जिससे बदबू आती है और उस पानी का उपयोग नहीं हो सकता। चंदलाई बांध की भी यही स्थिति है। जयपुर जिले के किसी भी बांध में शुद्ध पानी नहीं पहुंच रहा है।
प्रशासन के कारण तोड़ रहे हैं दम

कोर्ट ने तल्खी दिखाते हुए कहा है कि प्रशासन के प्रवाह क्षेत्र से रुकावटों को हटाने का आदेश नहीं करने के कारण जलस्रोत दम तोड़ रहे हैं। बांध, नाला व तालाब के प्रवाह क्षेत्र में निर्माण की अनुमति दी जा रही है। राजस्थान काश्तकारी अधिनियम के विपरीत आवंटन किया जा रहा है।
फिर सरकार से क्या उम्मीद करें

कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा है कि जब जयपुर के जलस्रोतों का यह हाल है तो प्रदेश के अन्य जलस्रोतों का क्या हाल होगा? अदालती आदेश की पालना की यह स्थिति देखते हुए तो सरकार से उम्मीद करना बेमानी होगा कि बांधों में पानी आ जाएगा।
जलस्रोतों को सजग नहीं है सरकार

कोर्ट ने जलस्रोतों के संरक्षण को लेकर विभिन्न विभागों की रिपोर्ट को खानापूर्ति बताते हुए मामले को गंभीरता से लेने का निर्देश दिया है। सकारात्मक रुख दिखाने की हिदायत देते हुए कहा है कि इस मामले पर जितनी जरुरत है सरकार उतनी सजग नहीं है।

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