इस घर में बने मंदिर में रमण भाई का परिवार पूजा-अर्चना करता है तो मोहम्मद भाई के परिजन नमाज अता करते हैं। दोनों परिवारों की रसोई एक ही है, जहां सबका भोजन साथ में बनता है। दोनों परिवारों को एक-दूसरे के धर्म की गहन जानकारी है। रमण भाई के बच्चों को कुरान की आयतें कंठस्थ हैं तो मोहम्मद भाई के बच्चों को गीता-रामायण का पूरा ज्ञान है। दोनों परिवार एक-दूसरे के पर्वो को उल्लास के साथ मनाते हैं।
फूलों के व्यापार के साथ जुड़े इस रिश्ते की महक कभी कम नहीं हुई। सुख-दुख को साथ बांटने के लिए दोनों ने अलग-अलग घर लेकर रहने के बजाय एक छत के नीचे पांच दशक पहले दोस्ती का आशियाना बना लिया। करीब 17 वर्ष पहले मोहम्मद भाई की बीमारी से मृत्यु हो गई तो 10 साल पहले रमण की मौत सड़क दुर्घटना में गई।लेकिन दोनों परिवार के सदस्यों ने दोस्ती के अहसास को जीवंत रखा और आज भी सब साथ में हैं।
दोनों परिवार के 12 सदस्य बरसों से एकसाथ हैं। हालांकि दोनों परिवारों की बेटियों की शादी हो जाने के बाद वे अपने-अपने ससुराल में खुश हैं। मोहम्मद भाई की चारों बेटियों की शादी रमण भाई के पुत्र ने कराई। चारों फिलहाल कनाडा में हैं और वहीं से हर साल भाई को राखी भेजती हैं।
आजादी के बाद देश में कई दंगे हुए। गुजरात में वर्ष 1992 और 2002 में हुए दंगे के बाद दो धर्म के लोगों के बीच मनभेद का माहौल बढ़ गया था, लेकिन इस परिवार के रिश्ते पर कोई आंच नहीं आई। दोनों परिवारों के सदस्यों ने जीवन की हर तकलीफ को साथ में बांटा।