जी.एस.टी. एक्ट की धारा 107 में यह प्रावधान है कि कोई करदाता किसी जी.एस.टी. प्राधिकारी द्वारा पारित आदेश से व्यतिथ है तो प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अपील फाइल कर सकता है। यदि करदाता को अपील से वांछित राहत नहीं मिलती है तो व्यतिथ करदाता को अधिनियम की धारा 112 के तहत सरकार द्वारा गठित अपीलीय ट्रिब्यूनल में सुनवाई के लिए अपील के माध्यम से अपना पक्ष रखने का अधिकार प्रदान किया गया है।
अपने प्रदेश राजस्थान में भी इस व्यवस्था के लगभग 6 वर्ण पूरे होने के बाद भी अपीलीय ट्रिब्यूनल का गठन नहीं किया गया है, जो राजस्थान के सम्मानीय करदाताओं के लिए परेशानी की वजह बनी हुई है। अपीलीय ट्रिब्यूनल के अपने प्रदेश में नहीं होने से प्राथी को माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करनी होती है। उच्च न्यायालय पर कार्यभार अधिक होने की वजह से समय बहुत लगता है, जो करदाता के लिए परेशानी की एक बड़ी वजह है। अन्तोगत्वा सारा आर्थिक एवं मानसिक भार करदाता को ही वहन करना पड़ता है।
कई करदाताओं की रिफंड क्लेम के रूप में भी काफी पूूजी कर विवादों में उलझी हुई है, किन्तु जी.एस.टी. अपीलीय ट्रिब्यूनल के अभाव में करदाता को वाजिब न्याय नहीं मिल पा रहा है। करदाताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए, हाल ही में संसद ने जी.एस.टी. अपीलीय ट्रिब्यूनल के गठन का रास्ता साफ़ कर दिया है, अतः उम्मीद है की राजस्थान राज्य के जयपुर एवं जोधपुर शहर में जल्द ही जी.एस.टी. अपीलीय ट्रिब्यूनल की स्थापना कर करदाताओं के त्वरित न्याय प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त किया जायेगा।
जी.एस.टी. एक्सपर्ट