सरकार को इसके सरलीकरण पर फोकस करना चाहिए। दो हफ्ते में 60 प्रतिशत फाइलिंग नामुमकिन है। आंकड़ों से यह भी साफ है कि दो महीने पहले डेडलाइन बढऩे का कोई सकारात्मक असर नहीं हुआ है और डीलर चाहकर भी रिटर्न नहीं भर पा रहे हैं।
अब भी मिसमैच का डर वरिष्ठ कर सलाहकार आशीष खंडेलवाल ने बताया कि वार्षिक रिटर्न के फॉर्मेट में सबसे बड़ी खामी यह है कि इसमें एडिट या रिवीजन का कोई प्रावधान नहीं है और सारा डेटा यह पुराने रिटर्न से उठा रहा है। ऐसे में ट्रेडर आशंकित हैं कि ऑटोपॉपुलेटेड डेटा और बुक्स में हुई वास्तविक एंट्री में मिसमैच के बाद उन्हें प्रशासनिक उत्पीडऩ का शिकार होना पड़ सकता है। यह भी देखा जा रहा है कि इनवॉइस मिसिंग या इनपुट क्रेडिट का मिलान नहीं होने पर दोबारा जीएसटी का भुगतान करना पड़ रहा है, जो गलत है। जब तक विसंगतियां दूर नहीं हो जातीं, सालाना रिटर्न अनिश्चितकाल के लिए टाल देना चाहिए।
नहीं बढ़ेगी तारीख कारोबारियों की सुबह-शाम चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के पास कट रही है। रिटर्न दाखिल करने के लिए सबसे पहले 31 दिसंबर 2018 की तिथि तय की गई थी। बाद में सर्वर और ऑनलाइन कई तरह की खामियों के बाद तारीख बढ़ाई गई। दो-दो महीने की छूट के बाद अब अंतिम तारीख 31 अगस्त तय की गई है। कई महीनों की राहत मिलने के बाद अब यह तय है कि तारीख आगे नहीं बढ़ाई जाएगी, इसलिए व्यापारियों को इस तारीख में ही रिटर्न दाखिल करना होगा।