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प्रदेश के इन जिलों में बजरी खनन को मिली हरी झण्डी, बाकी को हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार

locationजयपुरPublished: Jan 03, 2019 10:16:52 pm

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प्रदेश के इन जिलों में बजरी खनन को मिली हरी झण्डी, बाकी को हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार

सुनील सिंह सिसोदिया / जयपुर। प्रदेश में सालभर से बंद बजरी खनन अब जल्द चालू हो सकता है। बीकानेर व नागौर में करीब 62 खानें चालू करने की तो राज्य सरकार ने स्वीकृति जारी कर दी है। शुक्रवार तक आदेश जारी होंगे। वहीं बनास सहित अन्य नदियों में बजरी खनन के लिए हाइकोर्ट के फैसले का इंतजार है। बहस करीब दो माह पहले पूरी हो चुकी है। यदि फैसला सरकार के पक्ष में आया तो पहले ही चरण में 800 बजरी खानों की तुरंत नीलामी होगी। ऐसे में नवंबर 2017 से बंजरी संकट से जूझ रही प्रदेश की जनता को बड़ी राहत मिलेगी। हाईकोर्ट के फैसले पर बीकानेर और नागौर में बंद की गई 62 खानों को चालू करने को लेकर नवंबर 2018 में सरकार के पक्ष में फैसला आ गया था। लेकिन तत्कालीन भाजपा सरकार दोनों जिलों में बजरी खनन चालू नहीं करा सकी। इसे अब खान मंत्री प्रमोद जैन भाया ने हरी झण्डी दे दी है। बीकानेर में सभी बजरी खानें खातेदारी भूमि पर हैं।
रोक हटते ही होगी 800 खानों की नीलामी

बजरी को लेकर प्रदेश की प्रमुख बनास सहित अन्य नदियों में 5 साल पहले दी गई 82 बजरी खानों की अवधि 31 मार्च 2018 को समाप्त करने के राज्य सरकार के फैसले पर हाईकोर्ट की लगी रोक पर अब फैसला आने का इंतजार है। नवंबर 2018 को सुनवाई पूरी हो चुकी है। लेकिन फैसले का राज्य सरकार को इंतजार है। यदि फैसला राज्य सरकार के पक्ष में आया तो तत्काल 800 बजरी खानों की नीलामी प्रक्रिया शुरू होगी। ऐसे में बजरी कारोबार मुठ्ठीभर लोगों के हाथ से निकल कर बड़ी संख्या में खान मालिकों के हाथ में आ जाएगा।

ये था मामला…
खान विभाग ने 5 साल से चल रही बजरी खानों की अवधि 31 मार्च 2018 को समाप्त कर नई खानों की नीलामी की तैयारी की थी। लेकिन खान मालिक न्यायालय में चल गए थे। कहा गया था कि उनकी खानों को पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिलने से कानूनी रूप से संचालन शुरू नहीं हुआ, फिर 5 साल की अवधि खत्म कैसे हो सकती है। अनापत्ति प्रमाण पत्र दिलाना सरकार का काम था।

800 बजरी प्लाट चिन्हित
बजरी खानों की नीलामी को खान विभाग ने राज्यभर में 800 प्लाट चिन्हित कर लिए हैं। बजरी पर मुठ्ठीभर लोगों का एकाधिकार खत्म कर ज्यादा लोगों को काम सौंपने के लिए 100 हैक्टेयर से छोटे प्लाट बनाए गए हैं। सूत्रों की मानें तो पहले चरण में 800 बजरी खानों की नीलामी करने के बाद और खानों की नीलामी प्लाट चिन्हित कर की जाएगी। प्लाट छोटे होने के चलते पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र भी राज्य सरकार के स्तर पर जारी हो जाएंगे। ऐसे में नीलामी के बाद जल्द राज्य में बजरी खनन चालू हो सकेगा।

रिप्लेसमेंट स्टडी रिपोर्ट भी तैयार…

नदियों में बजरी आने और निकासी को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगी गई थी। रिपोर्ट नहीं सौंपने तक बजरी खनन राज्य में बंद करने के लिए कहा गया था। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक नदियों में बजरी आने व निकासी को लेकर ‘रिप्लेसमेंट स्टडी रिपोर्टÓ विभाग तैयार कर चुका है। यह रिपोर्ट भी सुप्रीम कोर्ट में जल्द पेश होगी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की ओर से लगी बजरी खनन पर रोक भी हटने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।

ऐसे बजरी होती गई बंद

16 नवंबर 2018 – बनास सहित अन्य नदियों में बजरी खनन हुआ बंद
3 मई 2018 – नागौर में बजरी खनन बंद

29 मई 2012 – बीकानेर में बजरी खनन बंद

प्रदेश के विकास कार्य अवरूद्ध
बजरी बंद होने के बाद से प्रदेश के विकास अवरूद्ध हो गया था। सरकारी प्रोजेक्ट्स से साथ ही लोगों के लिए मकान-दुकान बनाना भी मुश्किल हो गया था। हालांकि कुछ माह से कुछ प्रोजेक्ट्स को पत्थर पीसकर तैयार की जा रही बजरी से चालू किया गया था। लेकिन मकानों में यह बजरी प्रचलन में कम ही आई।

बजरी माफिया और पुलिस की हुई मौज…

बजरी बंद होने के बाद प्रदेश में तेजी से बजरी माफिया पनपा है। राज्यभर में बड़े स्तर पर अवैध रूप से बजरी खनन हो रहा है। इस अवैध कारोबार में पुलिस की भी मौज हो रही है। टोंक की बनास नदी से अवैध रूप से बजरी जयपुर सहित अन्य शहरों में पहुंच रही है। खास बात यह है कि यह वाहन पुलिस थानों के सामने से गुजर रहे हैं। लेकिन कार्रवाई दिखावे के रूप में कुछ ही वाहनों पर हो रही है। दूसरी ओर माफिया खान विभाग के अधिकारी और आमजन को वाहनों के नीचे रौंद रहे हैं।
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