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ग्लोबल वॉर्मिंग ने छीना विश्व का पहला स्तनधारी जीव

locationजयपुरPublished: Feb 25, 2019 02:15:39 pm

Submitted by:

Kiran Kaur

यह ऐसा पहला स्तनधारी जीव है, जो कि मानव प्रेरित जलवायु परिवर्तन के कारण विलुप्त हुआ है।

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ग्लोबल वॉर्मिंग ने छीना विश्व का पहला स्तनधारी जीव

ऑस्ट्रेलिया की पर्यावरण मंत्री मेलिसा प्राइस ने घोषणा की है कि ऑस्ट्रेलियाई द्वीपों के सबसे उत्तरी हिस्से में रहने वाले छोटे चूहे ब्रेम्बल केई मेलोमिस की स्थिति को लुप्तप्राय से विलुप्त में बदल दिया गया है यानी कि इस धरती पर इस चूहे का अस्तित्व हमेशा-हमेशा के लिए समाप्त हो गया है। यह ऐसा पहला स्तनधारी जीव है, जो कि मानव प्रेरित जलवायु परिवर्तन के कारण विलुप्त हुआ है। मेलिसा के अनुसार बे्रम्बल केई मेलोमिस, जिसका एकमात्र ज्ञात निवास स्थान सुदूर उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में एक छोटा रेतीला द्वीप था, उसे एक दशक से देखा नहीं गया था। क्वींसलैंड के शोधकर्ताओं ने इसके गायब होने का मुख्य कारण समुद्र में बार-बार आने वाली बाढ़ और इनके निवास स्थान को हुए नुकसान को माना है। वर्ष 2014 में इन चूहों का पता लगाने के लिए एक विशाल अभियान शुरू किया गया था लेकिन जांच दल को इस इलाके से इस चूहे का एक भी निशान नहीं मिला।
ऑ स्ट्रेलिया की पर्यावरण मंत्री मेलिसा प्राइस ने घोषणा की है कि ऑस्ट्रेलियाई द्वीपों के सबसे उत्तरी हिस्से में रहने वाले छोटे चूहे ब्रेम्बल केई मेलोमिस की स्थिति को ‘लुप्तप्रायÓ से ‘विलुप्तÓ में बदल दिया गया है यानी कि इस धरती पर इस चूहे का अस्तित्व हमेशा-हमेशा के लिए समाप्त हो गया है। यह ऐसा पहला स्तनधारी जीव है, जो कि मानव प्रेरित जलवायु परिवर्तन के कारण विलुप्त हुआ है। मेलिसा के अनुसार बे्रम्बल केई मेलोमिस, जिसका एकमात्र ज्ञात निवास स्थान सुदूर उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में एक छोटा रेतीला द्वीप था, उसे एक दशक से देखा नहीं गया था। क्वींसलैंड के शोधकर्ताओं ने इसके गायब होने का मुख्य कारण समुद्र में बार-बार आने वाली बाढ़ और इनके निवास स्थान को हुए नुकसान को माना है। वर्ष 2014 में इन चूहों का पता लगाने के लिए एक विशाल अभियान शुरू किया गया था लेकिन जांच दल को इस इलाके से इस चूहे का एक भी निशान नहीं मिला।
वर्ष 1992 के बाद से ही चूहों की
संख्या मेेंं आने लगी थी कमी
इस इलाके में इन चूहों की संख्या काफी ज्यादा थी लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या में कमी आने लगी। वर्ष 1992 तक इनकी संख्या में और भी कमी आ गई। उस समय क्वींसलैंड प्रशासन ने इस जीव को संकटापन्न घोषित किया था। वहीं आलोचकों का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया में वाइल्ड लाइफ के संरक्षण के लिए काफी कम प्रयास किए जा रहे हैं। खनन की गतिविधियां चूहों की संख्या में लगातार कमी का कारण बन रही हैं लेकिन सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही। अगर समय रहते इस जीव को बचाने की कोशिश की जाती तो शायद आज यह हमारे बीच होता लेकिन इसे बचाने के लिए शुरू किए गए सभी प्रोग्राम काफी देरी से शुरू हुए। वर्ष 2015 में हुए शोध के अनुसार धरती का तापमान यूं ही बढ़ता गया तो जिन देशों में जीवों को सबसे अधिक नुकसान होगा उनमें ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और दक्षिण अमरीका आदि शामिल हैं।
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