248 भूजल ब्लॉक हैं राज्य में , जिसमें से 164 डार्क जोन में हैं अभी
26 जिले डार्क जोन में हैं राज्य के 33 जिलों में से। इसमें 13 ब्लॉक जयपुर में है और 12 डार्क जोन में व एक क्रिटिकल श्रेणी में है।
28 हजार मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बेसिन में जाता है
15 हजार मिलियन क्यूबिक मीटर पानी प्राकृतिक तरीके से रिचार्ज होता है
०1 लाख मिलियन लीटर क्यूबिक मीटर पानी का पता नहीं
(भूजल विभाग के अनुसार)
दिखाई परेशानी, फिर सुझाया समाधान
विश्व में 4 प्रतिशत जल संसाधन से 16 प्रतिशत जनसंख्या को पानी उपलब्ध कराया जा रहा है।
देश में बढ़ती हुई जनंसख्या के साथ प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता घटती जा रही है।
अपशिष्ट जल को नदी-नालों में बहाया जा रहा है, जिससे सतही व भूजल प्रदूषित हो रहा है, इसे रोकना होगा।
अपशिष्ट जल का परिशोधन का दोबारा उपयोग और पेयजल को दूसरे काम में कम से कम उपयोग लाने पर काम करना है।
अपशिष्ट जल (सीवरेज, रसायन युक्त पानी) को परिशोधित कर सिंचाई व उद्योगों में उपयोग किया जाए।
राज्य स्तर के साथ-साथ जिला जल सुरक्षा योजनाएं बने।
अभी ये विभाग अलग-अलग मंत्री के पास
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग- बी.डी. कल्ला
जल संसाधन विभाग- अशोक गहलोत (मुख्यमंत्री के पास)
भूजल विभाग- बी.डी. कल्ला
वाटरशेड विकास विभाग (ग्रामीण विकास विभाग के अधीन)- सचिन पायलट, उपमुख्यमंत्री कृषि सिंचित क्षेत्रीय विकास एवं जल उपयोगिता विभाग- हरीश चौधरी
इंदिरा गांधी नहर परियोजना विभाग- उदयलाल आंजना
वाटर एण्ड सेनिटेशन सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएसएसओ)
( स्वायत्त शासन व नगरीय विकास विभाग के अधीन सीवर व एसटीपी के प्रोजेक्ट से जुड़ी शाखा भी हैं)