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मंटो : अफसानानिगार की जिंदगी के अजब-गजब अफसाने

locationजयपुरPublished: Sep 21, 2018 05:24:07 pm

Submitted by:

Aryan Sharma

नंदिता दास की फिल्म ‘मंटो’ उर्दू के अफसानानिगार सआदत हसन मंटो की जिंदगी के कुछ खास किस्से दिखाती है…

Jaipur

मंटो : अफसानानिगार की जिंदगी के अजब-गजब अफसाने

राइटिंग-डायरेक्शन : नंदिता दास
म्यूजिक : स्नेहा खानवलकर
सिनेमैटोग्राफी : कार्तिक विजय
एडिटिंग : श्रीकर प्रसाद
रनिंग टाइम : 116 मिनट
स्टार कास्ट : नवाजुद्दीन सिद्दीकी, रसिका दुग्गल, ताहिर राज भसीन, दिव्या दत्ता, फेरियाना वजीर, चंदन रॉय सान्याल, ऋषि कपूर, रणवीर शौरी, इला अरुण
आर्यन शर्मा/जयपुर. नंदिता दास ने 2002 के गुजरात दंगों की पृष्ठभूमि पर बेस्ड फिल्म ‘फिराक’ से निर्देशन में कदम रखा था। अब वह विवादित लेखक सआदत हसन मंटो की जिंदगी पर आधारित फिल्म ‘मंटो’ लेकर आई हैं। इसमें उन्होंने मंटो की जिंदगी के उतार-चढ़ाव, विवाद और महत्त्वपूर्ण पलों को रोचकता से प्रस्तुत किया है। कहानी 1946 के बॉम्बे से शुरू होती है, जहां उर्दू शायर व लेखक मंटो (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) अपनी पत्नी सफिया (रसिका) के साथ रहते हैं। मंटो की सोच और लेखन दूसरों से अलहदा है, इसलिए फिल्म इंडस्ट्री के लोगों से उनके खट्टे-मीठे रिश्ते बने रहते हैं। उनका खास दोस्त है सुपरस्टार श्याम चड्ढा (ताहिर)। भारत-पाकिस्तान विभाजन की लपट जब फैलती है तो मंटो को भी पाकिस्तान जाना पड़ता है। हालांकि उनका बॉम्बे से लगाव कम नहीं होता। वह हमेशा बॉम्बे को मिस करते रहते हैं। पाकिस्तान में उन्हें अपनी लिखी कहानी ‘ठंडा गोश्त’ के लिए केस से जूझना पड़ता है। फिल्म की कहानी मंटो लिखित कहानियों को किरदारों के माध्यम से दर्शाते हुए आगे बढ़ती है।
नवाजुद्दीन की दमदार परफॉर्मेंस
इंडस्ट्री में नंदिता ने बतौर एक्ट्रेस डिफरेंट कहानियों को चुना है, वहीं निर्देशक के तौर पर भी वह कुछ अलग हटकर करने की कोशिश करती हैं। ‘मंटो’ भी उनकी एक ऐसी ही कोशिश है। फिल्म की कहानी और उसे प्रजेंट करने का तरीका वाकई दिलचस्प है। नंदिता ने 40 के दशक को उचित ढंग से दर्शाने के लिए छोटी-छोटी चीजों पर बारीकी से ध्यान दिया है। उन्होंने मंटो की उलझनों और अपने अफसानों के कारण परिवार के साथ मुफलिसी में गुजारे जिंदगी के आखिरी दौर को आकर्षक अंदाज में पर्दे पर उतारा है। नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अभिनय करते हुए मंटो को आत्मसात कर लिया, वहीं उनकी पत्नी की भूमिका में रसिका दुग्गल ने भी जबरदस्त एक्टिंग की है। ताहिर राज भसीन ने मंटो के दोस्त का किरदार बखूबी जीया है। अन्य कलाकारों का काम भी अच्छा है। हालांकि फिल्म की धीमी रफ्तार थोड़ा तारतम्य बिगाड़ देती है।
क्यों देखें : फिल्म की कहानी भारत-पाकिस्तान विभाजन के आस-पास की मंटो की जिंदगी के इर्द-गिर्द घूमती है। मंटो की सोच से वाकिफ और अनजान दोनों ही तरह के दर्शकों को इस अफसानानिगार की जिंदगी के दिलचस्प अफसाने ‘मंटो’ को देखना चाहिए।
रेटिंग : 3.5/5

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