सरकारी अस्पताल में रेजीडेंट पर लगातार बढ़ रहा है काम का भार
सीनियर डॉक्टर घर में मरीज देखने में रहते हैं व्यस्त
काम के भार व सीनियर के धमकाने से रहते हैं तनाव में
सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पतालों में मरीजों का इतना भार रहता है कि कई बार उपचार के दौरान डॉक्टरों से गलती भी हो जाती है। इसका भी एक ताजा उदाहरण हाल ही देखने को मिला जब जनाना अस्पताल ( Janana Hospital ) में एक महिला की सोनोग्राफी ( Sonography ) में दो बच्चों का होना बता दिया और जब महिला का ऑपरेशन ( operation ) से बच्चा हुआ तो एक ही बच्चा था। इसको लेकर भी पिछले दिनों जनाना अस्पताल में काफी बबाल मचा।
मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों में जहां डॉक्टरों पर काम का बोझा ज्यादा है वहीं संसाधन भी सीमित है। अस्पतालों की मशीनें पुरानी हो गई है। मरीजों की बढ़ती भीड के बीच भी सीमित संसाधनों के साथ काम करना डॉक्टरों की मजबूरी बना हुआ है।
अस्पतालों में सीनियर डॉक्टर्स अपने-अपने घरों में मरीजों को देखने में व्यस्त रहते हैं और वे अपने काम का भार भी रेजीडेंट डॉक्टरों पर डाल देते हैं। अगर कोई रेजीडेंट डॉक्टर अपनी पीढा बताता है तो उसकी सुनी अनसुनी कर दी जाती है। यहीं नहीं बल्कि कई बार तो उसे मरीजों के सामने बेइज्जत भी किया जाता है। सीनियर डॉक्टरों की ओर से कोई बात नहीं सुनने के कारण रेजीडेंट डॉक्टर्स कहीं शिकायत भी नहीं कर पाते। महिला रेजीडेंट डॉक्टरों के सामने यह परेशानी ज्यादा है।