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दूसरों को जिंदगी देने वाले डॉक्टर खुद मौत को लगा रहे हैं गले

locationजयपुरPublished: Jul 18, 2019 05:34:26 pm

Submitted by:

Anil Chauchan

Rajasthan के Hospital में Doctors की कमी और इसके चलते उन पर पड़ता अनावश्यक Work Load, जहां अब तक Doctor or Patient के बीच खटास पैदा कर रहा था। वहीं अब डॉक्टरों के Depression का भी यह एक बड़ा कारण बनता जा रहा है। यही कारण है कि दूसरों को जिंदगी देने वाले Doctor इतने मानसिक तनाव में आ जाते हैं कि वे Susaid करने लगे हैं। हाल ही सामने महिला Resident Doctor की ओर से आत्महत्या की घटना से इन कारणों का खुलासा हुआ है।

 Nurses will become health officer by doing short term course

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अनिल सिंह चौहान . जयपुर . प्रदेश ( Rajasthan ) के अस्पतालों ( Hospital’s ) में डॉक्टरों की कमी और इसके चलते उनपर पड़ता अनावश्यक काम का भार ( work load ) , जहां अब तक डॉक्टर और मरीजों ( Doctor and Patient ) के बीच खटास पैदा कर रहा था। वहीं अब डॉक्टरों के मानसिक तनाव ( Depression ) का भी यह एक बड़ा कारण बनता जा रहा है। यही कारण है कि दूसरों को जिंदगी देने वाले डॉक्टर इतने मानसिक तनाव में आ जाते हैं कि वे मौत ( Suicide ) को गले लगा लेते हैं।
हाल ही सामने महिला रेजीडेंट डॉक्टर की ओर से आत्महत्या की घटना से इन कारणों का खुलासा हुआ है। हालांकि इस घटना में परिजनों ने कुछ सीनियर ( Sinior ) डॉक्टरों पर महिला रेजीडेंट को प्रताडि़त करने व अनावश्यक रूप से काम कराने का आरोप भी लगाया है। रेजीडेंट डॉक्टर के शव का पोस्टमार्टम कराकर आज परिजनों को सौंप दिया गया। डॉक्टर की आत्महत्या के कारणों में अत्यधिक काम का बोझ होना भी सामने आया है।
दूसरों को जिंदगी देने वाले डॉक्टर खुद मौत को लगा रहे हैं गले
सरकारी अस्पताल में रेजीडेंट पर लगातार बढ़ रहा है काम का भार
सीनियर डॉक्टर घर में मरीज देखने में रहते हैं व्यस्त
काम के भार व सीनियर के धमकाने से रहते हैं तनाव में
सरकारी अस्पतालों में रेजीडेंट डॉक्टरों को ही रीड की हड्डी कहा जाता है। देश के अंदर सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज ( SMS Madical Collage ) ही एक ऐसा कॉलेज ( Collage ) है, जिससे संबद्ध अस्पतालों में देश के अन्य अस्पतालों की तुलना में मरीजों का भार ज्यादा रहता है। सवाई मानसिंह अस्पताल ( hospital ) की बात करें तो यहां आउटडोर में हर रोज करीब 10 से 12 हजार मरीज दिखाने के लिए आते हैं। महिला और जनाना अस्पताल का भी यही हाल है।
मरीजों का भार, डॉक्टरों से होती है गलती -:
सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पतालों में मरीजों का इतना भार रहता है कि कई बार उपचार के दौरान डॉक्टरों से गलती भी हो जाती है। इसका भी एक ताजा उदाहरण हाल ही देखने को मिला जब जनाना अस्पताल ( Janana Hospital ) में एक महिला की सोनोग्राफी ( Sonography ) में दो बच्चों का होना बता दिया और जब महिला का ऑपरेशन ( operation ) से बच्चा हुआ तो एक ही बच्चा था। इसको लेकर भी पिछले दिनों जनाना अस्पताल में काफी बबाल मचा।
सीमित संसाधानों में काम करना मजबूरी -:
मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों में जहां डॉक्टरों पर काम का बोझा ज्यादा है वहीं संसाधन भी सीमित है। अस्पतालों की मशीनें पुरानी हो गई है। मरीजों की बढ़ती भीड के बीच भी सीमित संसाधनों के साथ काम करना डॉक्टरों की मजबूरी बना हुआ है।
सीनियर डॉक्टर सुनते नहीं -:
अस्पतालों में सीनियर डॉक्टर्स अपने-अपने घरों में मरीजों को देखने में व्यस्त रहते हैं और वे अपने काम का भार भी रेजीडेंट डॉक्टरों पर डाल देते हैं। अगर कोई रेजीडेंट डॉक्टर अपनी पीढा बताता है तो उसकी सुनी अनसुनी कर दी जाती है। यहीं नहीं बल्कि कई बार तो उसे मरीजों के सामने बेइज्जत भी किया जाता है। सीनियर डॉक्टरों की ओर से कोई बात नहीं सुनने के कारण रेजीडेंट डॉक्टर्स कहीं शिकायत भी नहीं कर पाते। महिला रेजीडेंट डॉक्टरों के सामने यह परेशानी ज्यादा है।
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