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अमानक टीके: विभाग ने रोका फर्म के बिलों का भुगतान

locationजयपुरPublished: Nov 26, 2020 07:48:22 pm

Submitted by:

Rakhi Hajela

 
दिए औषधि नियंत्रण अधिकारी के माध्यम से जांच के आदेश
अमानक पाए गए थे टीके
कर्मचारी बोले, 40 दिन की मेहनत हुई बेकार

अमानक टीके: विभाग ने रोका फर्म के बिलों का भुगतान

अमानक टीके: विभाग ने रोका फर्म के बिलों का भुगतान

एफएमडी अभियान के तहत किए जा रहे टीकाकरण कार्यक्रम के दौरान वैक्सीन और टीके अमानक पाए जाने के बाद पशुपालन विभाग ने संबंधित फर्म के बिलों का भुगतान रोक दिया है। साथ ही औषधि नियंत्रण अधिकारी के माध्यम से जांच के आदेश दिए हैं। विभाग की ओर से दिए गए आदेशों के मुताबिक इस औषधि के बैच की शेष मात्रा को जिला औषधि भंडार पर एकत्र कराया जाए। संबंधित फर्म से औषधि की मात्रा का खर्च लिया जाए।
अमानक पाए गए टीकों के स्थान पर नए टीके मंगवाए जाएं
इधर प्रदेश के कृषि और पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने एफएमडी अभियान की समीक्षा करते हुए विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि अमानक पाए गए टीकों के स्थान पर नए टीके मंगवाए जाएं। उन्होंन अधिकारियों से कहा कि वह केंद्र सरकार के अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर वैक्सीन के प्रतिस्थापन के लिए त्वरित कार्यवाही करें, जिससे दुधारू पशुओं का टीकाकरण जल्द पूरा हो सके। प्रदेश में दुधारू पशुओं में एफएमडी टीके लगाने के लिए केंद्र सरकार ने मेसर्स बायोवेट बायो फार्मा प्राइवेट लिमिटेड की ओर से टीकों की आपूर्ति करवाई थी, जिसके दो बैच, निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए हैं। इसी फर्म ने पंजाब, दमनदीव, झारखंड, जम्मू और कश्मीर के साथ असम भी एफएमडी टीकों की आपूर्ति की गई थी। कटारिया ने निर्देश कि केंद्र सरकार से अमानक रहे बैचों के संबंध
में विस्तृत विवरण प्राप्त किया जाए।
40 दिन की मेहनत हुई बेकार
राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष अजय सैनी का कहना है कि बार बार गुणवत्ताहीन वैक्सीन लगाए जाने से पशुपालकों में रोष व्याप्त है। पशुपालकों में वापस विश्वास पैदा करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। इसके साथ ही हजारों पशु चिकित्सा कर्मचारियों ने 40 दिन तक फील्ड में जो मेहनत की वो व्यर्थ हो गई। उन्होंने वैक्सीन निर्माता कंपनी से इसकी वसूली किए जाने और पशु क्रूरता का मुकदमा दर्ज करवाए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के दौरान भी कर्मचारियों ने अपनी जान को जोखिम में डालकर टीकाकरण कार्यक्रम को संपन्न किया। अब एक दिन पहले कहा जा रहा कि जो टीका लगाया गया वह गुणवत्ताहीन था।
खुरपका मुंहपका से बचाने के लिए टीका
गौरतलब है कि पशुओं को खुरपका, मुंहपका और ब्रुसेलोसिस रोग से बचाने के लिए यह राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जाता है। प्रथम चरण में राज्य के 15 जिले इसमें शामिल थे। जबकि दूसरे चरण में 18 जिलों में यह कार्यक्रम चलाया जा रहा था। कार्यक्रम के तहत गौ और भैंस वंशीय पशुओं का टीकाकरण किया जाता है। केंद्र सरकार की ओर से जिस बायोवेट बायोफार्मा द्वारा गुणवत्ता रहित टीकों की सप्लाई मिलने का जिक्र किया गया है उसी फर्म द्वारा राजस्थान में भी टीकों की सप्लाई की गई है। अब बचे हुए टीकों को वापस मंगवाकर फर्म को भेजे जाने की तैयारी की जा रही है। नए टीके मिलने के बाद फिर से टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होगा।
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