ये राज्य भी कर रहे हैं मांग ( Demands for Special States Category )
आंध्र प्रदेश और बिहार भी लंबे समय से विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। मगर नॉर्थ ईस्ट और पहाड़ी राज्यों के अलावा किसी और राज्य को अभी तक यह दर्जा नहीं मिल पाया है। किसी राज्य की भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक और संसाधन के लिहाज से उसकी क्या स्थिति है, इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए विशेष राज्य का दर्जा दिया जाता है. विशेष राज्य का दर्जा कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है. केंद्र सरकार अपने विवेक से उपरोक्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए विशेष राज्य का दर्जा देती है.विशेष राज्य का दर्जा मिलने के फायदे ( Special Category State Benefits )
—केंद्र सरकार से 90 फीसदी फंडिंग अनुदान के रूप में मिलती है—बाकी 10 फीसदी रकम बिना किसी ब्याज के मिलती है
—एक्साइज, कस्टम, कॉर्पोरेट, इनकम टैक्स में मिलती है रियायत
—प्लांड बजट में 30 फीसदी रकम विशेष राज्यों को मिलती है
—अन्य राज्यों को महज 30 फीसदी राशि ही अनुदान के रूप में मिलती है
—70 फीसदी रकम केंद्र का कर्ज होता है
इनको मिला विशेष राज्य का दर्जा ( special category states list )
1969 में पांचवें वित्त आयोग के कहने पर नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल ( national development council ) ने पहाड़, दुर्गम क्षेत्र, कम जनसंख्या, आदिवासी इलाका, अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर, प्रति व्यक्ति आय और कम राजस्व के आधार पर राज्यों की पहचान की थी. 1969 में असम, नगालैंड और जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्ज दिया गया था. बाद में अरुणाचल ( arunachal ), मणिपुर ( Manipur ), मेघालय ( Meghalaya ), मिजोरम ( Mizoram ), सिक्किम ( Sikkim ), त्रिपुरा ( tripura ), हिमाचल ( Himachal Pradesh ) और उत्तराखंड ( uttrakhand ) को विशेष राज्य का दर्जा मिला।राजस्थान को मिलेगा ये फायदा
बहरहाल राजस्थान की वित्तीय स्थिति भी अच्छी नहीं है। ऐसे में अगर केंद्र विशेष राज्य का दर्जा देता हैं तो कुछ हद तक वित्तीय स्थिति में सुधार होगा। मगर यह दर्जा पाने के लिए यहां के सभी सांसदों को एकजुट होकर केंद्र पर दबाव बनाना पड़ेगा।