दिल्ली में शनिवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में इस बात पर चर्चा हुई थी कि पार्टी में कहीं न कहीं कार्यकर्ताओं को तवज्जो नहीं मिली, जिससे कार्यकर्ता नाराज था और उसकी नाराजगी का खमियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा। ऐसे में सबसे पहले कार्यकर्ताओं को संतुष्ट किया जाए।
बताया जाता है कि इसी को ध्यान में रखकर सभी शीर्ष नेताओं और प्रदेशाध्यक्षों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वो कार्यकर्ताओं की सुध लें, साथ ही एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत भी पार्टी में सख्ती से लागू करें।
एआईसीसी की ओर से जारी निर्देशों के बाद माना जा रहा है कि जहां-जहां कांग्रेस पार्टी सत्ता में हैं वहां एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत सख्ती से लागू किया जाए। एआईसीसी की ओर से जारी निर्देशों के बाद माना जा रहा है कि शीघ्र ही प्रदेश में भी ये फॉर्मूला शीघ्र ही लागू होगा क्योंकि प्रदेश कांग्रेस में तीन दर्जन से ज्यादा नेता ऐसे हैं जो दो-दो पदों पर काम कर रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस के 6 उपाध्यक्ष तो ऐसे हैं जो गहलोत सरकार में मंत्री हैं इनमें पांच केबिनेट और एक राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार है। इनमें विश्वेन्द्र सिंह, मा.भंवर लाल मेघवाल, रघु शर्मा, प्रमोद जैन भाया और उदयलाल आंजना है, जबकि गोविंद सिंह डोटासरा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार हैं।
वहीं प्रदेश कांग्रेस के तीन उपाध्यक्ष विधायक हैं, इनमें खिलाड़ी बैरवा, अशोक बैरवा और महेंद्र जीत सिंह मालवीय है। इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री मुरारी लाल मीणा विधायक और महेंद्र चौधरी सरकारी उप मुख्य सचेतक हैं।
वहीं पार्टी के तीन जिलाध्यक्ष तो ऐसे भी हैं जो गहलोत सरकार में मंत्री हैं। इनमें प्रताप सिंह खाचरियावास, राजेंद्र सिंह यादव और टीकाराम जूली भी है। सरकार में मंत्री हैं वहीं झुंझुनूं के जिलाध्यक्ष जितेंद्र सिंह पार्टी के वरिष्ठ विधायक हैं।