दोनों ही सीटों पर पूरी शिद्दत से जुटने की एक वजह ये भी है कि अगर सत्तारूढ़ कांग्रेस दोनों ही सीटों पर उपचुनाव जीतती है तो विधानसभा में उसकी संख्या 103 हो जाएगी। ऐसे में उपचुनाव में कांग्रेस कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती, इसलिए प्रत्याशी तय करने से पहले पार्टी प्रत्याशियों का चयन अच्छी तरह ठोक-बजाकर करना चाहती है। कांग्रेस सूत्रों की माने तो दोनों ही सीटों पर जिताऊ उम्मीदवार की तलाश के लिए पर्यवेक्षकों को क्षेत्र में भेजने की चर्चा पार्टी के भीतर चल रही है।
बताया जा रहा है कि पर्यवेक्षक क्षेत्रों में जाकर जनता की नब्ज टटोलने के साथ ही दावेदारों की जमीनी हकीकत भी जानेंगे कि किस उम्मीदवार की जनता में कितनी पकड़ है। कहा जा रहा है कि शीघ्र ही पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर उन्हें इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में भेजा जाएगा, इसके अलावा स्थानीय संगठन इकाइयों के प्रमुखों से भी मजबूत दावेदारों के नाम मांगे जाएंगे।
इन दावेदारों के नाम चर्चा में
खींवसर विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां पूर्व मंत्री हरेंद्र मिर्धा और पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा का नाम चर्चा में है। इसके अलावा मंडावा विधानसभा क्षेत्र में पूर्व विधायक रीटा चौधरी और कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. चंद्रभान का नाम खासा चर्चा में है।
खींवसर से तीसरे बार विधायक बने हनुमान
वहीं दूसरी ओर नागौर से सांसद चुने गए हनुमान बेनीवाल लगातार तीन बार खींवसर से विधायक चुने गए थे, लेकिन लोकसभा चुनाव में नागौर से सांसद बनने के बाद उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। बेनीवाल ने कांग्रेस की दिग्गज नेता ज्योति मिर्धा को चुनाव हराया था, वहीं विधानसभा चुनाव में मंडावा से विधायक चुने गए नरेंद्र कुमार लोकसभा चुनाव में झुंझुनूं से कांग्रेस नेता श्रवण कुमार को हराकर सांसद बने।