कांग्रेस मुख्यालय में बुधवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में पायलट और गहलोत ने हंसी के ठहाकों के बीच चुनाव लडऩे की घोषणा की। सूची घोषित हुए बिना चुनाव लडऩे की घोषणा और अन्य नेताओं के नामांकन दाखिल किए जाने के सवाल पर गहलोत ने कहा कि कुछ लोग मुहूर्त में भरोसा करते हैं। इसलिए उन्होंने नामांकन भर दिया होगा। पायलट ने कहा कि राहुल के आदेश और गहलोत के निवेदन पर वे विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे।
उन्होंने विधानसभा क्षेत्र का खुलासा करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि पार्टी की उम्मीदवारों की सूची आने के बाद ही यह भी पता चल जाएगा। दरअसल लम्बे समय से कार्यकर्ताओं में यही रहस्य बना हुआ था कि गहलोत-पायलट दोनों चुनाव लड़ेंगे या नहीं। दोनों के समर्थकों ने उन पर चुनाव लडऩे का दबाव बना रखा था।
इस बीच राहुल ने मध्य प्रदेश के फॉर्मूले को अपनाने के निर्देश दिए थे। वहां बड़े नेताओं को चुनाव लडऩे की बजाय पूरे राज्य में प्रचार करके पार्टी को जीताने की जिम्मेदारी दे दी गई। यहां भी तीन दिन तक ऐसे ही प्रयास चलते रहे। लिस्ट घोषित होने में देरी की यह बड़ी वजह रही। इस बीच केन्द्रीय चुनाव समिति को एक बड़े नेता ने तो साफ कह दिया कि उन पर समर्थकों ने चुनाव लडऩे का भारी दबाव बना रखा है। ऐसे में उन्हें चुनाव तो लडऩा ही पड़ेगा। काफी समझाइश के बाद भी जब बात नहीं बनी तो राहुल ने भी साफ कर दिया कि यदि चुनाव लडऩा ही है तो दोनों को साथ उतरना होगा। अत: दोनों ने एक साथ मीडिया के सामने आकर यह घोषणा की।