हेपेटाईटिस प्रमुख रुप से ए,बी,सी और ई प्रकार के होते हैं। वरिष्ठ पेट आंत एवं लिवर रोग विशेषज्ञ डॉ साकेत अग्रवाल का कहना है कि हेपेटाइटिस एक प्रकार का सक्रंमण है। शुरूआती तौर पर इसका पता नहीं लगने पर यह आगे चलकर एक्यूट लीवर फेलीयर या लीवर सिरायसिस के रूप में बदल जाता है जो कई बार लाईलाज बन जाता है।
वरिष्ठ पेट ऑत एवं लिवर रोग विशेषज्ञ डॉ मनोहर लाल शर्मा का कहना है कि भूख का नहीं लगना, चमड़ी और आंखों में पीलापन होना, पेट दर्द रहना, हमेशा हल्का बुखार बना रहना इस बीमारी के शुरूआती लक्षण हैं। जिन्हें नजरअंदाज नहीं कर उपचार लेना चाहिए।
हेपेटाईटिस ए और ई का मुख्य कारण संक्रमित भोजन करना, स्वच्छ पानी का इस्तेमाल नहीं करना,
हाथों को सही से नहीं धोना, हेपेटाईटिस बी और सी के मुख्य कारणों में माता पिता के संक्रमित होने, असुरक्षित यौन संबंध, रक्त आधान, संक्रमित इंजेक्शन का इस्तेमाल समेत अन्य कारण होते हैं।
हेपेटाईटिस ए व ई का तो बचाव ही उपचार है। हेपेटाईटिस बी का टीकाकरण कराने से भी इसका बचाव संभव है। चीफ ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ अंकुर अटल गुप्ता का कहना है इस बीमारी की रोकथाम क लिए सरकारी स्तर पर टीकाकरण भी करवाए जाते हैं। ऐसे में हेपेटाईटिस बी का जरूर लगवाना चाहिए।