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जयपुर

राज्य के लघु उद्योगों को निगल रहा ड्रैगन

1600 करोड़ तक पहुंचा चीनी माल का आयात

जयपुरSep 17, 2018 / 12:12 am

Veejay Chaudhary

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राज्य के लघु उद्योगों को निगल रहा ड्रैगन

जगमोहन शर्मा. जयपुर. चीनी वस्तुओं के आयात ने राज्य के लघु उद्योगों को हाशिये पर खड़ा कर दिया है। पिछले 7 साल में राज्य के प्लास्टिक, गारमेंट, प्रिंटिंग, मूर्ति, राखी, लाइटिंग, मैटल, ज्वैलरी से जुड़ी हजारों लघु उद्योग इकाइयां लगभग बंद हो चुकी हैं। कम कीमत और आसान आयात के कारण यहां की घरेलू इंडस्ट्री चीनी वस्तुओं से प्रतिस्पर्धा करने में असफल रही हैं। हालांकि सुरक्षा की दृष्टि से सरकार ने चीनी पटाखे और मांझे पर बैन लगा दिया था। इससे इन पारम्परिक उद्योगों को राहत मिली, इसके बावजूद राज्य का लघु उद्योग खत्म होने के कगार पर है।
हैंडमेड उद्योग पर ड्रेगन का साया : राज्य का हैंडमेड उद्योग भी चीनी उत्पादों की मार से आहत है। चीनी हैंडीक्राफ्ट, ब्रास मैटल और घरेलू उपयोग की वस्तुओं का भी भारी आयात हो रहा है। इससे राज्य के ग्रामीण-पारम्परिक उद्योग भी खत्म हो रहे हैं। राखी और मूर्ति उद्योग के दबदबे को भी चीन चुनौती दे रहा है। चीन से सस्ती राखियां व मूर्तियां धड़ल्ले से आयात हो रही हैं।
प्रिंटिग उद्योग को ज्यादा नुकसान
सर्वाधिक नुकसान प्रिंटिंग उद्योग को हुआ है, जिसकी लगभग सभी यूनिटें बंद हो चुकी हैं। राज्य से बड़ी संख्या में झंडे, गारमेंट, प्लास्टिक उत्पादों पर प्रिंटिंग के आर्डर चीन को जा रहे हैं। दशकभर पहले राज्य में प्रिंटिंग की 300 से ज्यादा इकाइयां थीं, जो अब 60-70 ही रह गई है। इस उद्योग से जुड़े जानकारों का कहना है कि चीन दुनियाभर में कैमिकल सस्ता भेज रहा है, जो कलर इंडस्ट्री के लिए घातक है। इससे प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो गया है।
एक्सपर्ट व्यू : उत्पाद नहीं, तकनीक लाएं

घरेलू उद्योगों को चीनी से टक्कर लेनी है तो विदेशों से तकनीक का आयात करना चाहिए, माल का नहीं। एेसा हमने पूर्व में किया भी है। हमने चीन से टाइल्स बनाने की तकनीक सीखकर दुनियाभर में टाइल्स उद्योग में दबदबा कायम किया है। राजस्थान में विश्व विख्यात काजारिया टाइल्स जैसी यूनिटें लगाई गई हैं। इसी तरह इटली और चीन से गारमेंट की नई तकनीक सीखी जाए तो हम भी विश्व में गारमेंट उद्योग में अपन धाक जमा सकते हैं। जैसे सूरत के सिंथेटिक कपड़े ने चीन से तकनीक हासिल कर दुनिया में अपनी अलग जगह बनाई है।
– दिनेश सिंह शेखावत, आयात-निर्यात के विशेषज्ञ
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