प्रिंटिग उद्योग को ज्यादा नुकसान
सर्वाधिक नुकसान प्रिंटिंग उद्योग को हुआ है, जिसकी लगभग सभी यूनिटें बंद हो चुकी हैं। राज्य से बड़ी संख्या में झंडे, गारमेंट, प्लास्टिक उत्पादों पर प्रिंटिंग के आर्डर चीन को जा रहे हैं। दशकभर पहले राज्य में प्रिंटिंग की 300 से ज्यादा इकाइयां थीं, जो अब 60-70 ही रह गई है। इस उद्योग से जुड़े जानकारों का कहना है कि चीन दुनियाभर में कैमिकल सस्ता भेज रहा है, जो कलर इंडस्ट्री के लिए घातक है। इससे प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो गया है।
सर्वाधिक नुकसान प्रिंटिंग उद्योग को हुआ है, जिसकी लगभग सभी यूनिटें बंद हो चुकी हैं। राज्य से बड़ी संख्या में झंडे, गारमेंट, प्लास्टिक उत्पादों पर प्रिंटिंग के आर्डर चीन को जा रहे हैं। दशकभर पहले राज्य में प्रिंटिंग की 300 से ज्यादा इकाइयां थीं, जो अब 60-70 ही रह गई है। इस उद्योग से जुड़े जानकारों का कहना है कि चीन दुनियाभर में कैमिकल सस्ता भेज रहा है, जो कलर इंडस्ट्री के लिए घातक है। इससे प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो गया है।
एक्सपर्ट व्यू : उत्पाद नहीं, तकनीक लाएं घरेलू उद्योगों को चीनी से टक्कर लेनी है तो विदेशों से तकनीक का आयात करना चाहिए, माल का नहीं। एेसा हमने पूर्व में किया भी है। हमने चीन से टाइल्स बनाने की तकनीक सीखकर दुनियाभर में टाइल्स उद्योग में दबदबा कायम किया है। राजस्थान में विश्व विख्यात काजारिया टाइल्स जैसी यूनिटें लगाई गई हैं। इसी तरह इटली और चीन से गारमेंट की नई तकनीक सीखी जाए तो हम भी विश्व में गारमेंट उद्योग में अपन धाक जमा सकते हैं। जैसे सूरत के सिंथेटिक कपड़े ने चीन से तकनीक हासिल कर दुनिया में अपनी अलग जगह बनाई है।
– दिनेश सिंह शेखावत, आयात-निर्यात के विशेषज्ञ
– दिनेश सिंह शेखावत, आयात-निर्यात के विशेषज्ञ