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Chandrayaan-2: नासा ने विक्रम को भेजा हलो

locationजयपुरPublished: Sep 12, 2019 11:23:29 am

Submitted by:

sangita chaturvedi

Chandrayaan-2: नासा ने विक्रम को भेजा हलो

Chandrayaan-2: नासा ने विक्रम को भेजा हलो

Chandrayaan-2: नासा ने विक्रम को भेजा हलो

Chandrayaan-2: इसरो के मून मिशन चंद्रयान-2 को लेकर नया खुलासा हुआ है… नई बात ये सामने आई है कि लैंडर विक्रम का इसरो से संपर्क 335 मीटर ऊंचाई पर टूटा था. इसरो के मिशन ऑपरेशन कॉम्पलेक्स की स्क्रीन पर जारी तस्वीर से इस बात का खुलासा हुआ है… इसका ग्राफ इस बात का सबूत है… सामने आया है कि जिस वक्त विक्रम लैंडिंग कर रहा था, उसकी डिटेल इसरो के मिशन ऑपरेशन कॉम्पलेक्स पर एक ग्राफ के रूप में दिखाई दे रही थी. ग्राफ में तीन रेखाएं दिखाई दे रही थी. जिनमें से बीच वाली लाल रेखा पर विक्रम लैंडर चल रहा था. यह रेखा लैंडर विक्रम के लिए वैज्ञानिकों द्वारा तय किया गया पूर्व निर्धारित पथ था. जबकि विक्रम की रियल टाइम का पथ हरे रंग की रेखा में दिखाई दे रहा था.. चंद्रमा की सतह से 4.2 किलोमीटर की ऊंचाई पर भी विक्रम लैंडर अपने पूर्व निर्धारित रास्ते से कुछ भटका पर उसे ठीक कर दिया गया। इसके बाद जब विक्रम चंद्र सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचा तो वो अपने पथ से भटक कर अन्य पथ पर चलने लगा… जिस वक्त विक्रम ने अपना निर्धारित पथ छोड़ा उस वक्त उसकी गति 59 मीटर प्रति सेकंड थी। भटकने के बावजूद सतह से 400 मीटर की ऊंचाई पर विक्रम लैंडर की गति करीबन उस स्तर पर पहुंच चुकी थी जिस पर उसे सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी। मिशन ऑपरेशन कॉम्प्लेक्स की स्क्रीन पर नजर आ रहे ग्राफ में लैंडिग हेतु पूर्व निर्धारित 15 मिनट के 13वें मिनट में स्क्रीन पर एक हरे धब्बे संग सब कुछ रुक गया। उस वक्त विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह से 335 मीटर की ऊंचाई पर था।अब वैज्ञानिक विक्रम से संपर्क साधने की कोशिशों से जूझ रहे हैं। विक्रम की हार्ड लैंडिंग से 14 दिन के भीतर यानी 21 सितंबर तक इसरो को संपर्क साधने में कामयाबी हासिल करनी होगी।21 सितंबर के बात चांद पर रात शुरू हो जाएगी जो धरती के 14 रातों के बराबर होगी। चांद की रातों में वहां तापमान बहुत अधिक कम होकर -200 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। लैंडर में लगे उपकरण इतने कम तापमान को सहने में समर्थ नहीं हैं। उसके इलेक्ट्रॉनिक क्षतिग्रस्त हो सकते हैं या एकदम से खराब होने की आशंका है। इसलिए 21 सितंबर तक अगर संपर्क सध पाया तो ठीक, उसके बाद उम्मीद न के बराबर होगी। आपको यह भी बता दें नासा ने चांद की सतह पर गतिहीन पड़े विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने के लिए उसे हैलो का संदेश भेजा है। अपने गहरे अंतरिक्ष ग्राउंड स्टेशन नेटवर्क के जरिए नासा का जेट प्रोपल्सन लैबोरेटरी (जेपीएल) ने लैंडर के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए विक्रम को एक रेडियो फ्रीक्वेंसी भेजी है। नासा के एक सूत्र ने इस बात की पुष्टि की। सूत्र ने कहा, हां नासा/जेपीएल विक्रम से गहरे अंतरिक्ष नेटवर्क (डीप स्पेस नेटवर्क- डीएसएन) के जरिए संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। जिसके लिए इसरो सहमत है।

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