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जयपुर

चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण की उलटी गिनती जारी

आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा ( shriharikota ) में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ( ISRO ) की चंद्रमा पर भारत के दूसरे मिशन चंद्रयान-2 ( Chandrayaan-2 ) के प्रक्षेपण के 20 घंटों की उलटी गिनती रविवार शाम शुरू हो गई। इसरो ने ट्वीट कर बताया कि उलटी गिनती शाम 18.43 बजे शुरू हो गई। पहले प्रक्षेपण ( Launching ) 15 जुलाई को किया जाना था, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण टाल दिया गया था।

जयपुरJul 22, 2019 / 01:06 am

rajendra sharma

Chandrayaan-2

चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण की उलटी गिनती जारी

भारत का चंद्रयान-2 ( Chandrayaan-2 ) अब चांद ( moon ) पर जाने के लिए तैयार है । इसके लिए उलटी गिनती ( Countdown ) रविवार शाम शुरू होने पर सफल प्रक्षेपण ( Launching ) की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं तथा सभी उपकरणों की जांच का काम भी पूरा हो चुका है। चंद्रयान का प्रक्षेपण 22 जुलाई को अपराह्न 14.43 बजे आंध्र प्रदेश ( Andhra Pradesh ) के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र ( Satish Dhawan Space Centre ) से किया जाएगा। इस मिशन ( mission ) के लिए देश के सबसे वजनी जीएसएलवी-एमके3 एम1 ( GSLV ) रॉकेट का इस्तेमाल किया जाएगा। जो 3850 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-2 को ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) के साथ ले जाएगा।
इसरो ने बताया कि मिशन के लिए रिहर्सल पूरा हो गया है। इसरो ने 18 जुलाई को घोषणा की थी कि विशेषज्ञ समिति ने तकनीकी खराबी के कारण का पता लगा लिया है और उसे ठीक भी कर लिया गया है।
मिशन के उद्देश्य
इस मिशन के मुख्य उद्देश्यों में चंद्रमा पर पानी की मात्रा का अनुमान लगाना, उसके जमीन, उसमें मौजूद खनिजों ( Minerals ) एवं रसायनों ( Chemicals ) तथा उनके वितरण का अध्ययन करना और चंद्रमा के बाहरी वातावरण की ताप-भौतिकी गुणों का विश्लेषण करना है। उल्लेखनीय है चंद्रमा पर भारत के पहले मिशन चंद्रयान-1 ने वहां पानी की मौजूदगी की पुष्टि की थी। इस मिशन में चंद्रयान के साथ कुल 1& स्वदेशी पे-लोड यान वैज्ञानिक उपकरण भेजे जा रहे हैं। इनमें तरह-तरह के कैमरा, स्पेक्ट्रोमीटर, राडार, प्रोब और सिस्मोमीटर शामिल हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक पैसिव पेलोड भी इस मिशन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य पृथ्वी और चंद्रमा की दूरी सटीक दूरी पता लगाना है। यह मिशन इस मायने में खास है कि चंद्रयान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा और सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अब तक दुनिया का कोई मिशन नहीं उतरा है। चंद्रयान के तीन हिस्से हैं। ऑर्बिटर चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में चक्कर लगाएगा। लैंडर विक्रम ऑर्बिटर से अलग हो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। यह दो मिनट प्रति सेकेंड की गति से चंद्रमा की जमीन पर उतरेगा। प्रज्ञान नाम का रोवर लैंडर से अलग होकर 50 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर घूमकर तस्वीरें लेगा।

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