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जयपुर

पानी के लिए तड़पकर मर रहे मवेशी

जिले के रोहट पंचायत समिति क्षेत्र के कई गांव में जनप्रतिनिधियों व सरकारी विभाग ने जीएलआर व पशुओं के अवाळे तो बनावा दिए, लेकिन यहां तक पानी नहीं पहुंचने के कारण ग्रामीणों व मवेशियों के कंठ सूखे हैं।

जयपुरMay 06, 2016 / 03:47 am

afjal

जिले के रोहट पंचायत समिति क्षेत्र के कई गांव में जनप्रतिनिधियों व सरकारी विभाग ने जीएलआर व पशुओं के अवाळे तो बनावा दिए, लेकिन यहां तक पानी नहीं पहुंचने के कारण ग्रामीणों व मवेशियों के कंठ सूखे हैं। 
ऐसे में ग्रामीणों अपने लिए तो कहीं से पानी का टैंकर मंगवाकर पूर्ति कर लेते हैं। लेकिन मवेशी तड़प कर मर रहे हैं। 

पत्रिका टीम ने कई गांवों का दौरा किया तो लगभग जीएलआर व पशुओं के अवाळे सूखे पड़े नजर आए। खुटांणी-दिवान्दी गांव के मार्ग पर बने जीएलआर व पशुओं के अवाळे के पास कुछ मवेशी धूप में खड़े थे। 
इनमें एक गाय जमीन पर तड़पती नजर आई। यहां पास में ही जीएलआर के पास बना अवाळा जो पूरी तरह सूखा था। थोड़ी देर में तड़पती गाय की मौत हो गई। ग्रामीणों ने बताया कि यहां हर रोज चारे-पानी के अभाव में मवेशी मर रहे हैं। 
कई बार जनप्रतिनिधियों व जलदाय विभाग के अधिकारियों को अवगत करवाया, लेकिन आज तक गांव में पानी नहीं पहुंच पाया। ऐसा ही हाल दिवान्दी के भोमियों की ढाणी के सरकारी स्कूल के पास देखने को मिला। 
यहां बने जीएलआर व पशुओं का अवाळा पूरी तरह सूखा पड़ा था। ग्रामीणों ने बताया कि यहां स्कूल में आने वाले अध्यापक व दूर-दराज से आने वाले विद्यार्थी अपने साथ घर से पानी की बोतल लेकर आते हैं। 
गर्मी आते ही परेशानी

ग्रामीणों ने बताया कि सर्दी में तो पानी की समस्या रहती ही है, लेकिन गर्मी में ज्यादा हालत खराब हो जाती है। पशुओं के सूखे पड़े अवाळे के कारण दिनभर लाचार मवेशी धूप से परेशान होकर दम तोड़ रहे हैं। कई मवेशियों के कंकाल रास्ते में पड़े दिखे। 
आखिर कब मिलेगी राहत

 यहां निर्वाचित जनप्रतिनिधि व जलदाय विभाग के अधिकारी कभी सुध लेने नहीं आते। पानी के अभाव में मवेशी मर रहे हैं। कई बार अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को अवगत करवाया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। 
 रघुवीरसिंह, गांव दिवान्दी

पानी के अभाव में मर रहे हैं मवेशी

 रोहट क्षेत्र के कई गांवों में सूखे पड़े हैं जीएलआर व अवाळे के कारण मवेशियों की मौत हो रही है। ग्रामीण जैतपुर से आने वाले पानी के टैंकरों के ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं।
अनाथाराम देवासी, मुरडिय़ा

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