ये आलम तो तब है कि जब शहर की आठ विधानसभा क्षेत्रों में से पांच पर कांग्रेस का कब्जा है। वहीं विधानसभा और ब्लॉकवार चुनाव कार्यालय नहीं खुलने से स्थानीय कार्यकर्ता भी हताश नजर आ रहे हैं।
चुनाव कार्यालय नहीं खुलने से स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ता पार्टी और प्रत्याशी के लिए व्यापक रूप से कार्य नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि न उन्हें प्रचार सामग्री मिल पा रही है और न ही प्रचार के लिए साधन। हालांकि इस बारें में जब कार्यकर्ता वरिष्ठ नेताओं से गुहार लगाते हैं तो वरिष्ठ नेता भी चुप्पी साध लेते हैं।
दिलचस्पी नहीं दिखा रहे नेता
पार्टी के जानकारों की माने तो विधानसभा और ब्लॉक स्तर पर चुनाव कार्यालय खोलने को लेकर शहर के बड़े नेता और विधायक दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं, जबकि प्रदेश के सभी लोकसभा क्षेत्रों में विधानसभा स्तर और ब्लॉक स्तर पर चुनाव कार्यालय पहले खुल चुके हैं।
बताया जाता है कि विधानसभावार और ब्लॉक लेवल पर कार्यालय नहीं खोले जाने की बात वॉर रूम संभाल रहे पार्टी के आला नेताओं तक भी पहुंच चुकी है, आला नेताओं ने कार्यालय खोलने के आदेश भी शहर कांग्रेस के नेताओं को दिए हैं, इसके बावजूद कार्यालय नहीं खुल पा रहे हैं।