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व्यापारी ने की आत्महत्या, सरकारी बैंक और एक विदेशी कंपनी को बताया सुसाइड का जिम्मेदार

locationजयपुरPublished: Jan 03, 2019 09:32:48 pm

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व्यापारी ने की आत्महत्या, सरकारी बैंक और एक विदेशी कंपनी को बताया सुसाइड का जिम्मेदार

अविनाश बाकोलिया / जयपुर। राजधानी में कर्जे और लेनदारों से परेशान होकर एक व्यापारी ने बुधवार रात जहरीला पदार्थ खाकर खुदकुशी कर ली। व्यापारी के पास से दो पेज का सुसाइड नोट मिला है। जिसमें व्यापारी ने अपने सुसाइड नोट में एक विदेशी कंपनी और सरकारी बैंक को जिम्मेदार बताया है। मामला विद्याधर नगर थाना इलाके का है।
पुलिस ने बताया कि मृतक देवेन्द्र कुमार माहेश्वरी (45) सहयोग अपार्टमेंट सेक्टर-6 का रहने वाला था। घटनाक्रम के अनुसार देवेन्द्र बुधवार रात को टीवी देख रहा था। मां खाना खाकर सोने चली गई। कुछ देर बाद में उसकी तबीयत खराब हो गई। इसके बाद मां ने पास में रहने वाले भाई कृष्ण कुमार माहेश्वरी को फोन कर घर बुलाया। कृष्ण ने रात को एंबुलेंस की सहायता से पास के हॉस्पिटल ले गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। थानाधिकारी राधारमन गुप्ता ने बताया कि प्रथमदृष्टया जहरीला पदार्थ खाने से मौत हुई है।
करोड़ों रुपयों का था कर्जा
पुलिस ने बताया कि मृतक ड्रायफ्रूट्स और दाल सप्लाई का काम करता था। उसने भाई के साथ मैसर्स सालासर ट्रेडर्स नाम से फर्म खोली थी। सितंबर-2015 में जर्मनी की कंपनी मेट्रो केश एंड कैरी इंडिया प्रा.लि. बंगलुरू ने देवेन्द्र को करीब सात करोड़ रुपए के ड्रायफ्रूट्स का बल्क में ऑर्डर दिया। ऑर्डर कंफर्म होने के बाद दिवाली से पहले कंपनी को करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए की कीमत तक के माल की डिलीवरी कर दी। दिवाली के बाद ड्रायफ्रूट्स के भाव में 250 रुपए प्रति किलो के हिसाब से गिरावट आ गई। कंपनी ने 800 रुपए प्रति किलो के हिसाब से माल मंगवाया था। इसके बाद कंपनी के पदाधिकारियों ने बिना मालिक को सूचना दिए घटिया क्वालिटी का माल बताकर रिटर्न टू वेंडर बता दिया और रिटर्न गुड के नाम से 94 लाख रुपए फर्म के खाते में डेबिट करवा दिए। देवेन्द्र इस दौरान कंपनी से माल की एवज में बार-बार रुपए मांगे, लेकिन पदाधिकारियों का कोई जवाब नहीं मिला। तीन महीने बाद जब बैंक गया, तो स्टेटमेंट देखा तब धोखाधड़ी का मामला सामने आया। इस पर मृतक के भाई ने वर्ष 2016 में विद्याधर नगर थाने में मुकदमा दर्ज करवाया।
जयपुर के व्यापारियों ने भी शुरू कर दिया था परेशान
थानाधिकारी राधारमन ने बताया कि जयपुर के छोटे-बड़े व्यापारियों ने अपने माल के रुपयों का तकादा करना शुरू कर दिया था। देवेन्द्र कुछ समय तक तो सबको भुगतान करने का कहता रहा। बाद में कंपनी से जब रुपए नहीं मिले तो व्यापारियों ने परेशान करना शुरू कर दिया। जिसके चलते वह दु:खी रहने लगा और बुधवार की रात जहरीला पदार्थ खाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। मृतक के भाई कृष्ण कुमार ने आरोप लगाया है कि कंपनी ने जेडीए के अधिकारियों से मिलकर उनकी बिल्डिंग को तुड़वा दिया। इसके बाद बाजार में देवेन्द्र से सुनील ट्रेडिंग कंपनी वाले और आशु सिंह पैसे मांगने लगे। अकसर यह लोग घर पर आकर धमकी देने लगे और ब्याज भी मांगने लगे। ऐसे में देवेन्द्र तनाव में रहने लगा। साथ ही विद्याधर नगर स्थित बैंक ऑफ महाराष्ट्र की ब्रांच मैनेजर प्रियंका सिंह व सुरेश यादव ने उसके खाते को एनपीए कर दिया। इससे उसका व्यापार चौपट हो गया और परेशान रहने लगा।
यह लिखा सुसाइड नोट में
सुसाइड नोट के अनुसार देवेन्द्र ने अपनी मौत का जिम्मेदार कंपनी और बैंक ऑफ महाराष्ट्र की ब्रांच को माना है। सुसाइड नोट में लिखा है कि वह अपने जीवन का अंत कंपनी की धोखाधड़ी की वजह से कर रहा है। पिछले दो साल से कंपनी ने तीन करोड़ रुपए अटका रखे हैं। इसकी शिकायत विद्याधर नगर थाने में भी करवाई है। तीन करोड़ रुपए साधारण व्यापारी के लिए पूरे जीवन के बराबर होती है। हमने प्रयत्न किया ताकि हमारी सुनवाई हो जाए। अब सारी कोशिशों के बाद अब लगता है कि बिन किसी की मौत के हमारी सुनवाई होना संभव नहीं है। पूरे परिवार की बलि चढऩे से बच जाए इसलिए अपने जीवन का अंत कर रहा हूं।

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