लोकतांत्रिक मोर्चा अधिकतर वामपंथी शामिल हैं। इसके अलावा सपा और जद शामिल हैं। इन सभी दलों की बात करें तो सीमित क्षेत्रों में प्रभाव है और अभी सात दल में से अधिकतर दल प्रत्याशियों को तय नहीं कर पाए हैं। मोर्चा की ओर से पूर्व विधायक अमराराम को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया है,लेकिन अब तक सीटों की स्थिति भी साफ नहीं हो पाई है।
यही स्थिति घनश्याम तिवाड़ी और हनुमान बेनीवाल की जोड़ी की भी है। भले ही हनुमान बेनीवाल ने मंच पर राष्ट्रीय लोकदल और सपा के नेताओं को इक_ा कर दिया हो, लेकिन दोनों दलों का कोई खास वजूद राज्य में नहीं है। ऐसे में दोनों के पास पूरे राज्य में प्रत्याशी उतारना किसी मुश्किल से कम नहीं है।
लोकतांत्रिक मोर्चा बेनीवाल-तिवाड़ी की जोड़ी से दूरी बना रहे हैं। वामपंथियों का मानना है कि भाजपा द्वारा प्राजोजित हैं और भाजपा को ही फायदा पहुंचाने के लिए बने हैं।
बसपा बीते विस चुनावों में सीटें जीत चुकी है। 2008 में पार्टी ने 7.66 फीसदी वोट हासिल कर छह सीटों पर कब्जा किया था। वहीं बीते विस चुनाव में पार्टी ने 3.66 फीसदी वोट हासिल कर तीन सीटें जीती थीं। इतना ही नहीं, उप्र से सटी सीटों पर पार्टी के राष्ट्रीय नेता सक्रिय भी हो गए हैं। महीने के अंत में बसपा सुप्रीमो मायावती भी सक्रिय हो जाएंगी।