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जयपुर

सभी चाहते, चुनाव में मिले हाथी का साथ और हाथी नहीं आ रहा किसी के हाथ

-तीसरे फ्रंट के दलों में बसपा के साथ गठबंधन करने की बेकरारी, लेकिन बसपा अकेले दम पर चुनाव लडऩे की कर रही है बात

जयपुरNov 12, 2018 / 12:44 pm

Ashwani Kumar

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सभी चाहते, चुनाव में मिले हाथी का साथ और हाथी नहीं आ रहा किसी के हाथ

जयपुर। भाजपा और कांग्र्रेस को सत्ता से दूर रखने के लिए तीसरे मोर्चे के विभिन्न दल दम भरते नजर आ रहे हैं, लेकिन सभी दल अब तक एक मंच पर नहीं आ सके हैं।जबकि सोमवार से नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी।
राजस्थान लोकतांत्रिक मोर्चा और हनुमान-तिवाड़ी की जोड़ी तीसरे विकल्प के रूप में राज्य में दमदार उपस्थिति दर्ज कराने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे, लेकिन दबी जुबान इन्हीं दलों के नेता यह भी स्वीकार करते हैं कि सभी सीटों पर उनके दल मजबूती से भाजपा और कांग्रेस को टक्कर नहीं दे सक ते। इसी वजह से दोनों को ही बसपा के साथ गठबंधन की बेकरारी है। बसपा के पास अपना वोट बैंक है और जिस तरह से बसपा इस बार राज्य में दलित-मुस्लिम फैक्टर के सहारे चुनाव लडऩे का मूड बना चुकी है, उससे राज्य में कई सीटों पर समीकरण बिगाड़ सकती है। हालांकि बसपा का प्रदेश नेतृत्व अकेले दम पर चुनाव लडऩे की बात कर रहा है।

लोकतांत्रिक मोर्चा अधिकतर वामपंथी शामिल हैं। इसके अलावा सपा और जद शामिल हैं। इन सभी दलों की बात करें तो सीमित क्षेत्रों में प्रभाव है और अभी सात दल में से अधिकतर दल प्रत्याशियों को तय नहीं कर पाए हैं। मोर्चा की ओर से पूर्व विधायक अमराराम को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया है,लेकिन अब तक सीटों की स्थिति भी साफ नहीं हो पाई है।

यही स्थिति घनश्याम तिवाड़ी और हनुमान बेनीवाल की जोड़ी की भी है। भले ही हनुमान बेनीवाल ने मंच पर राष्ट्रीय लोकदल और सपा के नेताओं को इक_ा कर दिया हो, लेकिन दोनों दलों का कोई खास वजूद राज्य में नहीं है। ऐसे में दोनों के पास पूरे राज्य में प्रत्याशी उतारना किसी मुश्किल से कम नहीं है।
वामपंथी बना रहे जोड़ी से दूरी
लोकतांत्रिक मोर्चा बेनीवाल-तिवाड़ी की जोड़ी से दूरी बना रहे हैं। वामपंथियों का मानना है कि भाजपा द्वारा प्राजोजित हैं और भाजपा को ही फायदा पहुंचाने के लिए बने हैं।
बसपा इसलिए बन रही पसंद
बसपा बीते विस चुनावों में सीटें जीत चुकी है। 2008 में पार्टी ने 7.66 फीसदी वोट हासिल कर छह सीटों पर कब्जा किया था। वहीं बीते विस चुनाव में पार्टी ने 3.66 फीसदी वोट हासिल कर तीन सीटें जीती थीं। इतना ही नहीं, उप्र से सटी सीटों पर पार्टी के राष्ट्रीय नेता सक्रिय भी हो गए हैं। महीने के अंत में बसपा सुप्रीमो मायावती भी सक्रिय हो जाएंगी।

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