मंडावा के उप चुनाव में मुकाबला काफी रोचक हो गया है। भाजपा ने कांग्रेस प्रत्याशी बनाई गई पूर्व विधायक रीता चौधरी के सामने कांग्रेस में ही उनकी प्रतिद्वन्द्वी रही सुशीला सींगड़ा को उम्मीदवार बना दिया। हालांकि विधायक से सांसद बने नरेंद्र खीचड़ की जगह उनके ही परिवार को टिकट दिए जाने का भाजपा पर दबाव था, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने परिवारवाद के आरोप से बचने के लिए कांग्रेस के घर में ही सैंध लगाकर चौंका दिया। अब मंडावा में दो महिला उम्मीद्वारों के बीच सीधी टक्कर होना तय है।
दरअसल, मंडावा कांग्रेस का गढ़ रहा है। यहां से पिछले साल दिसम्बर में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के नरेंद्र खीचड़ ने जीत हासिल की थी। इसके बाद मई में लोकसभा चुनाव हुए तो पार्टी ने खीचड़ को मैदान में उतार दिया। उनकी जीत के बाद खाली हुई सीट को बचाए रखना भाजपा के लिए चुनौती से कम नहीं है। ऐसे में खीचड़ के पुत्र अतुल पर दाव खेलने का दबाव बनता दिख रहा था, लेकिन भाजपा ने कांग्रेस से निलंबित चल रही सीगड़ा पर दांव खेल दिया। हालांकि इससे भाजपा का एक गुट नाराज हो सकता है, लेकिन कांग्रेस की रीटा चौधरी के लिए भी उन्हीं के कुनबे की प्रतिद्वन्द्वी से मुकाबला आसाना नहीं रहेगा।
सुशीला सींगड़ा 1981 से 1988 तक प्रधान रही। कांग्रेस नेता के नेता बृजलाल सीगड़ा की पुत्रवधु। उम्र है 54 साल और शैक्षणिक योग्यता है मैट्रिक। सुशीला भी लगातार कांग्रेस के टिकट पर झुंझुनुूं पंचायत समिति से प्रधान चुनी जा रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में हारी दिग्गज कांग्रेस नेता रामनारायण चौधरी की पुत्री रीटा की शिकायत पर कांग्रेस ने सुशीला को अन्य नेताओं के साथ निलंबित कर दिया था, लेकिन वे पार्टी में ही थी। इस फूट का फायदा उठाने के लिए भाजपा ने सुशीला पर दांव खेल दिया।
कांग्रेस ने फिर रीटा चौधरी को प्रत्याशी बनाया है। मंडावा कांग्रेस का गढ़ रहा है और पिछले विधानसभा में भाजपा को पहली बार यहां से बहुत कम अंतर से खाता खोलने का मौका मिला। भाजपा के नरेंद्र खीचड़ ने रीटा चौधरी को 2346 मतों से हराया था। रीटा के पिता रामनारायण चौधरी का मंडावा में दबदबा रहा है। रीटा उनकी विरासत को संभाल रही है और उनका क्षेत्र में अपना अलग जनाधार है। रीटा ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे डॉ. चंद्रभान के खिलाफ बगावत की थी और 2013 में डॉ. चंद्रभान दिग्गज नेता शीशराम ओला के समर्थन के बावजूद जमानत तक नहीं बचा पाए थे।
मंडावा में दोनों ही दलों के प्रत्याशियों की घोषणा के बाद तस्वीर साफ हो गई है। दोनों प्रत्याशी सोमवार को नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। शक्ति प्रदर्शन भी होगा, लेकिन यह तय है कि शेखावाटी के इस कांग्रेसी गढ़ में लगी सैंध बरकरार रखना भाजपा के लिए और खोयी हुई प्रतिष्ठा वापस हासिल करने की कांग्रेस की कोशिश के चलते मुकाबला रोचक होगा।