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हार का असर, भाजपा जिला अध्यक्षों में बड़े स्तर पर बदलाव की तैयारी

locationजयपुरPublished: Jan 18, 2019 09:56:13 am

Submitted by:

dinesh Dinesh Saini

मोर्चों और प्रदेश पदाधिकारियों में भी बदलाव संभव…

BJP
– अरविंद सिंह शक्तावत

जयपुर।

विधानसभा चुनाव 2018 में हार के बाद अब भाजपा अपने संगठन में बड़े स्तर पर बदलाव की तैयारी में जुट गई है। यह बदलाव कुछ ही दिनों में पूरी पार्टी में दिखेगा। इसकी शुरुआत पार्टी जिला अध्यक्षों में बदलाव के साथ करने जा रही है। पार्टी बड़े स्तर पर जिला अध्यक्षों को हटाकर नए अध्यक्ष बनाने की तैयारी में है। संभवत: इसी सप्ताह या अगले सप्ताह पार्टी जिला अध्यक्ष बदल देगी। बड़े स्तर पर बदलाव एक की जगह दो चरणों में किया जा सकता है।
भाजपा ने संगठन के लिहाज से वर्तमान में 41 जिला अध्यक्ष हैं। कुछ समय पहले पार्टी ने संगठन का काम मजबूती से करने के लिए कुछ जिलों के टुकड़े कर दो-दो जिला अध्यक्ष बना दिए थे, लेकिन चुनावों में बीस से ज्यादा जिलों से यह शिकायत आई कि जिला अध्यक्ष खुद ही टिकट मांग रह थे और टिकट नहीं मिलने से उन्होंने कई सीटों पर अपने ही प्रत्याशियों को हरवा दिया। पार्टी ने इस बात को गंभीरता से लिया और अपने स्तर पर शिकायतों की जांच भी करवाई। कई जिलों में यह शिकायतें सही पाई गई और पार्टी ने निर्णय किया कि जिनके खिलाफ शिकायतें हैं, उनको हटा कर नए जिला अध्यक्ष बनाया जाए। विधानसभा चुनाव में हार के बाद ही इस पर मंथन शुरू हो गया था। करीब एक माह तक मंथन के बाद जिला अध्यक्षों को हटाने का निर्णय कर लिया गया है।
बताया जा रहा है कि पार्टी कम से कम 20 जिला अध्यक्ष तो बदलेगी ही। अभी इस पर विचार चल रहा है और यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी मोर्चों और प्रदेश टीम में भी कुछ बदलाव कर सकती है। प्रदेश पदाधिकारियों में तो रिक्त पदों को भरे जाएंगे, वहीं संगठन में मोर्चों से निष्क्रिय पदाधिकारियों को बाहर किया जाएगा। युवा मोर्चा टीम में भी कुछ बदलाव किया जा सकता है।
प्रत्याशियों ने की थीं शिकायतें
चुनाव में हारने के बाद कई जिलों से यह शिकायत आई थीं कि जिला अध्यक्षों ने पार्टी प्रत्याशियों की मदद करने की जगह उनको हरवाने का काम किया। जिस सीट से जिला अध्यक्ष टिकट चाहते थे, उस सीट पर तो खास तौर से जिला अध्यक्षों ने पार्टी लाइन के खिलाफ काम किया। ज्यादातर शिकायतें पश्चिमी और पूर्वी राजस्थान से आई है।
जिलाध्यक्षों के खिलाफ मिलीं शिकायतें
कई जिलों से यह शिकायत आई थीं कि अध्यक्षों ने पार्टी प्रत्याशियों की मदद करने की जगह उनको हरवाने का काम किया। जिस सीट से जिला अध्यक्ष टिकट चाहते थे, उस सीट पर तो खास तौर से जिला अध्यक्षों ने पार्टी के खिलाफ काम किया।
जातिगत समीकरणों पर खास जोर
जिला अध्यक्षों की घोषणा में पार्टी जातिगत समीकरणों पर विशेष जोर दे रही है। ऐसी जातियां जो इस चुनाव में पार्टी से दूर हो गई और पहले भाजपा के साथ थी, इनको जोडऩे पर फिर से विचार किया जा रहा है।

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