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खास मुकाबलों पर सबकी नजर: राजे, पायलट, गहलोत, कटारिया, सीपी, मानवेन्द्र की साख दावं पर

locationजयपुरPublished: Nov 19, 2018 10:03:18 pm

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Kamlesh Sharma

भाजपा ने जहां 200 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं वहीं कांग्रेस ने 195, शेष पांच सीटें उसने सहयोगी दलों के लिए छोड़ी है।

rajasthan election 2018
जयपुर। कांग्रेस और भाजपा ने सभी सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। भाजपा ने जहां 200 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं वहीं कांग्रेस ने 195, शेष पांच सीटें उसने सहयोगी दलों के लिए छोड़ी है। ऐसे में अब प्रदेश में बड़े से लेकर छोटे और खास से लेकर आम मुकाबले तय हो गए। इस चुनाव में भाजपा जहां अपनी सरकार बरकरार रखने के लिए मैदान में उतर रही है तो कांग्रेस वापसी के लिए पूरा जोर लगा रही है।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट, कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत, गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, दिग्गज नेता जसवंत सिंह के पुत्र मानवेन्द्र सिंह समेत करीब दो दर्जन बड़े नेताओं की साख भी इस चुनाव से जुड़ी हुई है। पढि़ए राजस्थान की वे 21 सीटें जिन पर प्रदेश के साथ देश के राजनीतिज्ञों और मीडिया की नजर रोचक और प्रतिष्ठापूर्ण मुकाबलों की वजह लगी रहेगी-
जयपुर संभाग

जात-पात के कोने चार, कौन कर पाएगा इन सबको पार

झोटवाड़ा: राजपाल की हेट्रिक या कटारिया करेंगे हिसाब चुकता
भाजपा ने उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत तो कांग्रेस ने पूर्व मंत्री लालचंद कटारिया को चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा ने राजपूत कार्ड चला है तो कांग्रेस ने जाट कार्ड के जरिए धु्रवीकरण का प्रयास किया है।
दोनों के बीच रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। 2008 में राजपाल ने लालचंद को 2455 वोटों से हराया था। 2013 में शेखावत ने कटारिया की पत्नी रेखा कटारिया को करीब 19 हजार से अधिक वोटों से पटखनी दी थी।

सांगानेर: जातियों के गणित में चार कोणों का कड़ा संघर्ष
कांग्रेस व भाजपा के अलावा विधायक घनश्याम तिवाड़ी और भाजपा के बागी रामगढ़ विधायक ज्ञानदेव आहूजा सिंधी वोटों के भरोसे मैदान में हैं। कांग्रेस के पुष्पेन्द्र भारद्वाज और भावापा के तिवाड़ी के बीच ब्राह्मण वोटों के बंटवारे को देखते हुए भाजपा ने वैश्य कार्ड पर महापौर अशोक लाहोटी को उतारा है।

महुवा: बागी हुए हुड़ला बना देंगे मुकाबले का रोचक
वर्ष 2013 में विधायक ओमप्रकाश हुडला ने भाजपा में आए सांसद किरोड़ीलाल मीना की पत्नी गोलमा देवी को हराया। मीना ने हुडला का विरोध किया। मुख्यमंत्री राजे हुडला के साथ खड़ी दिखी। आखिर में हुडला का टिकट काट कर किरोड़ी के भतीजे राजेन्द्र मीणा को उतार दिया। हुडला भी निर्दलीय मैदान में उतर गए हैं।

कोटा संभाग

अदावत और बगावत की इबारत लिखेगा हाड़ौती

झालरापाटन: दिग्गजों की जंग पर पूरे सूबे की नजर
भाजपा ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और कांग्रेस ने दिग्गज नेता जसवंत सिंह के पुत्र मानवेन्द्र सिंह को मारवाड़ से लाकर उतारा है। दिग्गजों के मैदान में आने से सीट चर्चित से बहुचर्चित हो गई है। वजह यहां के जातीय या राजनीतिक समीकरण नहीं, बल्कि दोनों नेताओं के बीच अदावत है। मानवेन्द्र ने चुनाव को स्वाभिमान और पिता के अपमान से जोड़ा है। राजे ने फिर झालावाड़ को अपना परिवार बताया है।
अंता: सैनी, भाया फिर आमने-सामने
कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी और कांग्रेस के पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया के बीच मुकाबला है। सीट पर जातीय समीकरण इतने प्रभावी नहीं, जितना धन-बल को लेकर चर्चा में रहती है। इस बार भी इस सीट पर धन-बल के उपयोग की आशंका व्यक्त की जा रही है।
लाडपुरा: दिग्गजों की पत्नी आमने-सामने
हाड़ौती का सबसे बड़ा उलटफेर इस सीट पर रहा है। भाजपा ने तीन बार के विधायक भवानीसिंह राजावत का टिकट काट कर कांग्रेस से भाजपा में आईं पूर्व सांसद इज्यराज सिंह की पत्नी कल्पना को दिया है। उनका मुकाबला कांग्रेस नेता नईमुद्दीन गुड्डू की पत्नी गुलनाज से है।

अजमेर संभाग

सोशल इंजीनियरिंग का नया कायदा, किसको देगा फायदा

टोंक: क्षेत्र की नहीं सूबे की राजनीति तय करेगी सीट
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के उतरते ही यह चर्चा में आ गई। भाजपा में यहां से विधायक अजीत मेहता उतारा लेकिन पायलट को देख रणनीति बदली। मुस्लिम बहुल सीट पर भाजपा ने नामांकन से ठीक पहले मुस्लिम कार्ड खेल परिवहन मंत्री यूनुस खान को पायलट से मुकाबले उतार दिया। इससे मुकाबला रोचक हो गया है। टोंक के मतदाताओं के लिए वैसे तो दोनों ही उम्मीदवार बाहरी है, लेकिन कद के लिहाज से बड़े नेता हंै।
नागौर: भाजपा के विधायक अब बने कांग्रेस के उम्मीदवार
यहां भारी उलटफेर देखने को मिला। यहां से भाजपा विधायक हबीबुर्ररहमान का टिकट कटा तो वे कांग्रेस में शामिल होकर टिकट ले आए। कांग्रेस से हरेन्द्र मिर्धा भी दावेदार थे। आरएसएस के दबाव मेें भाजपा ने मोहनराम चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में यहां वोटों का ध्रुवीकरण एवं धन-बल भी दिखेगा।

अजमेर उत्तर: काग्रेस ने पहली बार बनाया गैर सिंधी प्रत्याशी
भाजपा ने फिर शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी को उम्मीदवार बनाया। कांग्रेस ने गैर सिंधी कार्ड खेलते हुए राजपूत प्रत्याशी महेंन्द्र सिंह रलावता को उतारा है। मजेदार बात यह है कि इस सीट से अब तक कोई गैर सिंधी चुनाव नहीं जीत सका है। ऐसे में इस बार इस मुकाबले पर भी सभी की निगाह टिकी हुई है।

जोधपुर संभाग

तेल की धार ही नहीं, जात की मार भी महत्वपूर्ण

सरदारपुरा
गहलोत और खेतासर के मुकाबले पर सबकी नजर
यहां से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस और शंभूसिंह खेतासर भाजपा से प्रत्याशी हंै। गहलोत यहां 1998 से जीतते रहे हैं। पिछले चुनाव में गहलोत ने खेतासर यहां साढ़े 18 हजार वोटों से हराया। ऐसे में एक बार फिर से दो पुराने प्रतिद्वंदियों के मुकाबले पर सबकी नजर बनी हुई है।
बायतु

कर्नल के पाला बदलने से सामने आई नई तस्वीर
भाजपा ने विधायक कैलाश चौधरी को फिर से मौका दिया है। पिछले चुनाव में कांग्रेस से कर्नल सोनाराम उनके सामने थे जो बाद में भाजपा शामिल हो गए। हरीश चौधरी यहां कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। यहां रिफाइनरी बड़ा मुद्दा रहा है। जाट राजनीति के केन्द्र में यह सीट अहम हो गई है।
बाड़मेर

भाजपा में उठापटक ने चुनाव को बनाया रोचक
कांग्रेस ने दो बार जीते मेवाराम जैन को फिर प्रत्याशी बनाया है वहीं भाजपा ने सांसद कर्नल सोनाराम को उतार कर जाट कार्ड खेला है। टिकट नहीं मिलने से नाराज प्रियंका चौधरी ने यूआईटी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। भाजपा की अंदरूनी उठापटक से यहां चुनाव रोचक हो गया है।
उदयपुर संभाग

पुराने चेहरों की टक्कर में फिर नए किस्से गढ़ेगी सियासत

उदयपुर शहर: दो धुरंधर राजनीतिज्ञों की होगी टक्कर
इस सीट से भाजपा ने गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया तो कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता डॉ. गिरिजा व्यास आमने-सामने हैं। जातिगत समीकरण ज्यादा अहम नहींए बल्कि कांग्रेस ने कटारिया को घर में घेरने की कोशिश की है। कटारिया पिछले चुनावों में बांसवाड़ा, डूंगरपुर की सीटों पर भी प्रचार करने जाते रहे हैं। कांग्रेस का मानना है कि गिरिजा की छवि और महिला होने का फायदा मिलेगा। कटारिया को इलाके से दूसरी जगह निकलने में मुश्किल पेश आएगी।
नाथद्वारा: गुरू और चेले के बीच अनोखा मुकाबला
कांग्रेस के दिग्गज नेता सी.पी.जोशी 2008 में इसी सीट पर एक वोट से हारे थे। अब फिर जोशी यहां से मैदान में हैं। राजपूत वोटों के चलते भाजपा ने महेश प्रताप सिंह को उतारा है। महेश कांग्रेस छोड कर आए हैं, ऐसे में स्थानीय भाजपा नेताओं ने विरोध भी किया। महेश प्रताप ने जोशी से ही राजनीति सीखी है।
निम्बाहेड़ा: इस बार भी कठिन है कृपलानी की डगर
भाजपा ने फिर मंत्री श्रीचंद कृपलानी को उम्मीदवार बनाया है। 2013 में मोदी लहर के बावजूद कृपलानी कड़े संघर्ष से सीट निकाल सके थे। काग्रेस ने भी फिर इलाके के कद्दावर नेता उदय लाल आंजना को उतारा है। सीट पर धन-बल का भरपूर उपयोग होता रहा है। इस बार भी इसकी आशंका जताई जा रही है।

भरतपुर संभाग

सियासत के धरती-पकड़, वंश और विरासत की जंग

सपोटरा: दिग्गजों की जंग का फैसला करेगा यह चुनाव
करौली जिले की इस सीट पर इस बार भी एक तरह से चिर प्रतिद्वंदी किरोड़ीलाल मीणा और रमेश मीणा के बीच ही एक बार फिर से मुकाबला है। यह अलग बात है कि राज्यसभा सदस्य किरोड़ीलाल खुद यहां से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि उनकी पत्नी गोलमा देवी भाजपा से चुनाव लड़ रही है। दोनों ही मीणा जाति से आते हैं और तेज-तर्रार है। दोनों ही जमीनी राजनीति में विश्वास करते हैं।
राजाखेड़ा: विरासत बचाने के लिए मैदान में संतान
धौलपुर जिले की इस सीट पर भाजपा ने कांग्रेसी नेता पूर्व विधायक बनवारीलाल शर्मा के पुत्र अशोक शर्मा को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने आठ बार के विधायक और पूर्व मंत्री प्रद्युन सिंह के पुत्र रोहित बोहरा को टिकट दिया है। दोनों अपनी विरासत को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।
डीग-कुम्हेर: दिग्गज के मुकाबले युवा
कांग्रेस ने यहां से विधायक विश्वेन्द्र सिंह को उतारा है। मुकाबला भाजपा के दिवंगत नेता दिगंबर सिंह के पुत्र डॉ. शैलेष से होगा। मोदी लहर के बावजूद विश्वेन्द्र ने पिछले चुनाव में भाजपा के दिगंबर को हराया था। इस बार विश्वेन्द्र का मुकाबला पिता की जगह उनके पुत्र से हो रहा है।

बीकानेर संभाग

भुजिया और रसगुल्ला नहीं, अब यहां नई राजनीति का हल्ला

बीकानेर वेस्ट: पहले टिकट की जंग, बाद में वही आमने-सामने
कांग्रेस में टिकट की लड़ाई अंतिम समय तक चली। यहां कांग्रेस नेता बी.डी.कल्ला की जगह यशपाल गहलोत को दिया गया। कांग्रेस ने तीसरी सूची में कल्ला को उम्मीदवार घोषित किया। पार्टी के इस कदम पर दिग्गज नेता रामनारायण डूडी के उग्र तेवर ने प्रदेश में चर्चा का विषय बनी दिया। यहां भाजपा ने तीन बार के विधायक गोपाल जोशी को फिर से उम्मीदवार बनाया है। वह लगातार दो बार कल्ला को इस सीट पर पटखनी दे चुके हैं।
नोखा: डूडी ने बनाया सीट को हॉट, जीतना प्रतिष्ठा का प्रश्न
नोखा को लेकर चले ड्रामे से यह सीट चर्चित हो गई है। रामेश्वर डूडी यहां कांग्रेस और बिहारीलाल विश्नोई भाजपा प्रत्याशी हैं। डूडी ने अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए नोखा से पिछले चुनाव में निर्दलीय उतरे कन्हैयालाल झंवर को कांग्रेस लाकर टिकट दिलाया। डूडी के लिए जीताना अब प्रतिष्ठा का सवाल हो गया है।
रतनगढ़: रिणवा के बागी होने से त्रिकोणीय मुकाबला
सरकार में मंत्री और यहां से लगातार तीन बार विधायक रहे राजकुमार रिणवा का भाजपा ने टिकट काटा और एक दिन पहलेे पार्टी में आए अभिनेष महर्षि को प्रत्याशी बना इसे चर्चा में ला दिया। रिणवा निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे,वहीं कांग्रेस से भंवरलाल पुजारी को चुनाव में उतारा है। ऐसे में यहां त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं।
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