अस्थमा, एलर्जी, सीओपीडी (दमा), वायरल बुखार, सर्दी-जुकाम, खांसी, बच्चों में निमोनिया डॉक्टरों के अनुसार इन दिनों सर्दियों की शुरुआत है और सुबह शाम पडऩे वाली सर्दी के कारण सबसे ज्यादा परेशानी सीओपीडी और अस्थमा रोगियों को होती है। ऐसे में बीमारियों को नजर अंदाज किए बिना उपचार लेना जरूरी है। कभी-कभी तो यह जानलेवा भी साबित होता है। ऐसे में अस्थमा के रोगियों के लिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि वे अपना खास खयाल रखें। इन बीमारियों का ज्यादा असर बच्चों और बुजुर्गों में देखने को मिल रहा है।
बदलते मौसम में सावधानी बरतना जरूरी
बच्चों व वृद्धों का रखें विशेष खयाल
सांस संबंधी बीमारियों से परेशान व्यक्ति डॉक्टरों से रहें संपर्क में
दौरा पडऩे पर बदतें विशेष सावधानियां डॉक्टरों के अनुसार तेज ठंड के साथ कोहरा भी सीओपीडी और अस्थमा रोगियों को परेशान करता है। कई बार तो रोगियों को बोलने में भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में बिना कोई देर किए डॉक्टर की ओर से बताई गई दवाएं लें। सीधे खड़े हो जाएं या बैठ जाएं और लंबी सांस लें। लेटें तो बिल्कुल नहीं। कपड़े को ढीला कर लें, शांत रहने का प्रयास करें। अपने डॉक्टर से संपर्क करें या बिना देर किए नजदीक के अस्पताल में जाएं।
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क्या खाएं, क्या नहीं
. शहद का सेवन करें। इसमें विटामिन बी और कई मिनरल होते हैं। यह म्युकस को पतला करता हैए उसे शरीर से बाहर निकालने में सहायक है।
. विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थों जैसे जैतून का तेलए मूंगफली, सेब, वनस्पति तेल का सेवन करें। यह अस्थमा के उपचार में मददगार है।
. विटामिन बी से भरपूर मेवों, अंकुरित अनाज और फलियों का सेवन मुख्य रूप से सीने की जकडऩ, खांसी, सांस की तकलीफ दूर करता है।
. डेयरी प्रोडक्ट न खाएं क्योंकि यह फेफड़े में म्युकस के निर्माण को बढ़ाता है, जिससे अस्थमा की परेशानी बढ़ है।