एलएसजी की ओर से जारी परिपत्र में लिखा गया है कि निकायों की अकर्मण्यता के चलते आवासीय कॉलोनियों में व्यावसायिक निर्माण हो रहे हैं। शून्य सेटबैक के साथ-साथ सड़कों पर अतिक्रमण हो रहा है, जिससे आमजन की स्वच्छ हवा, स्वच्छ वातावरण, स्वच्छ आवागमन और स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव पड़ रहा है। इससे आमजन को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
औचित्यहीन हो रहे हैं भवन विनियम
परिपत्र में लिखा गया है कि इन अवैध निर्माणों और अतिक्रमणों की वजह से भवन विनियम औचित्यहीन हो जाते हैं और शहर के सुनियोजित विकास में अवरोध उत्पन्न होता है। इससे मूलभूत सुविधाओं से नागरिकों को वंचित होना पड़ता है। स्थानीय निकायों की उदासीनता, कार्यरत कर्मचारियों और अधिकारियों के कर्तव्य पालन में कोताही बरतने से नगरीय निकायों को राजस्व हानि का दोहरा नुकसान उठाना पड़ रहा है। इससे शहर भी प्रदूषित हो रहा है।
परकोटा का बुरा हाल
शहर के चारदीवारी इलाके का अवैध निर्माणों से बुरा हाल हो चुका है। यूनेस्को ने चारदीवारी को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है। मगर जमीनी हालात बदतर हैं। तंग गलियों में बड़े-बड़े कॉम्प्लेक्स खड़े हो रहे हैं। हवेलियां खत्म होने के कगार पर है। इतना होने के बाद भी जयपुर नगर निगम आंखें मूंदे बैठा है।
निकायों को ये दिए निर्देश
-निकाय में कार्यरत कर्मचारी-अधिकारी अपने क्षेत्र के अवैध निर्माणों को गंभीरता से लें।
-इन निर्माणों से हो रही राजस्व हानि को रोकें ताकि न्यायालय के आदेशों की पालना हो सके।
-निकाय में बिना स्वीकृति किसी भी तरह का निर्माण नहीं होना चाहिए।
-इस तरह के निर्माणों को पूरी तरह रोका जाए और निर्माणकर्ता के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
-लापरवाही बरतने वाले कार्मिकों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।