एक टांका है, इसमें पानी आने पर ‘पानी आया…पानी आया…Ó कहते हुए गामीणों की भीड़ उमड़ पड़ती है। …और दौड़े चले आते हैं गांव के जोगभारती कहते हैं ‘दिवान्दी में दस-बारह दिन में एक बार पानी आता है। इतने लम्बे अंतराल के बाद टांके में पानी आने की खबर पलभर में आग की तरह पूरे गांव में फैल जाती है और ग्रामीण घड़ा, बाल्टी, मटका यानी जिसे जो बर्तन मिला लेकर टांके के पास दौड़े चले आते हैं।
कुछ ही देर में इतने लोग एकत्र हो जाते हैं, जैसे कोई मेला लगा हो। लम्बी कतार के बीच एक घड़ा पानी के लिए बारी आने में ही डेढ़ से दो घंटे लग जाते हैं।Ó
पानी की मारा-मारी ‘दिवान्दी गांव में पानी की मारा-मारी है। माण्डावास गांव में भी हालात कम विकट नहीं है। दिवान्दी में तो कई दिनों तक पानी तक नहीं आता। लोगों को दूर-दराज से पानी लाना पड़ता है।
राव राजेन्द्रसिंह माण्डावास, ग्रामीण विकट हालात ‘ यहां हम प्यासे बैठे हैं, लेकिन पानी का बंदोबस्त कोई नहीं कर रहा। दिवान्दी में 10-12 दिन तक पानी नहीं आता। आसपास के गांव-ढाणियों में तो हालात और खराब है।Ó
ओमप्रकाश, ग्रामीण