अगर कोरोना संक्रमित मरीज की अस्पताल के वार्ड में मौत होती है तो कर्मचारियों को हैंड हाइजनिंग, सुरक्षा उपकरण, संक्रमण को रोकने वाला बैग इत्यादि का ध्यान रखा जाएगा। सभी ट्यूब, कैथेटर इत्यादि को शरीर से निकाला जाएगा और उपचार के दौरान किए गए पंक्चरों को बंद किया जाएगा। ट्यूब, कैथेटर को जैविक कचरा प्रबंधन के तहत नष्ट किया जाएगा।
4 डिग्री तापमान में रखना होगा शव
संक्रमित शव को मोर्चरी में कम से कम 4 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखना जरूरी होगा। सभी कर्मचारी व डॉक्टर सुरक्षा के निर्धारित पैमाने का पालन करेंगे। ट्रॉली को रसायन से साफ किया जाएगा। शव पर एम्बामिंग यानि लेपन नहीं किया जाएगा। एम्बामिंग करने के बाद शव को कुछ वक्त के लिए सुरक्षित किया जाता है ताकि परिजन अपने गृहस्थान ले जाकर उसका अंतिम संस्कार कर सकें।
अंतिम संस्कार के लिए शव को लेजाने में स्टाफ के कर्मचारियों को संक्रमण का खतरा नहीं है। हालांकि उन्हें सुरक्षा के सभी मानकों का पालना करना जरूरी है। साथ ही बाद में संबंधित वाहन को संक्रमण मुक्त करना भी जरूरी है। सर्जिकल मास्क व ग्लब्स इत्यादि के जरिए कर्मचारी अपना बचाव कर सकते हैं।
अंतिम संस्कार से पहले एक बार कर सकते हैं दर्शन
संक्रमित मरीज के अंतिम संस्कार से पहले एक बार परिजन या उसके रिश्तेदार अंतिम दर्शन कर सकते हैं। इसके लिए स्टाफ के कर्मचारी बैग के ऊपरी सिरे की चेन को खोल दर्शन करा सकते हैं। हालांकि इस दौरान दूरी बनाए रखना जरूरी होगा। साथ ही कर्मचारियों के हाथ व मुंह पूरी तरह सुरक्षित हों। अंतिम संस्कार के लिए ज्यादा लोगों की भीड़ नहीं होनी चाहिए। हालांकि अंतिम संस्कार होने से संक्रमण नहीं फैलता है। इसलिए अंतिम संस्कार के बाद कर्मचारियों और रिश्तेदारों को हाथों की सफाई करनी होगी।